नई दिल्ली: केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को लोकसभा में स्पष्ट किया कि सरकार का नया ‘संचार साथी’ ऐप किसी भी तरह की जासूसी के लिए नहीं बनाया गया है। उन्होंने कहा कि यह ऐप नागरिकों की सुरक्षा और सहायता के उद्देश्य से विकसित किया गया है। “इस ऐप के जरिए लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने का कोई इरादा नहीं है,” उन्होंने कहा।
संचार मंत्रालय ने हाल ही में सभी स्मार्टफोन निर्माताओं को निर्देश दिया है कि वे नए मोबाइल फोन्स में इस ऐप को प्री-इंस्टॉल करके बेचें और पुराने फोन में इसे सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए जोड़ें। सिंधिया ने बताया कि ऐप केवल सुरक्षा के लिए है और इसके माध्यम से स्नूपिंग करना अब या भविष्य में संभव नहीं होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि ऐप फोन सेटअप के समय दिखाई देगा और इसकी किसी भी सुविधा को बंद या सीमित नहीं किया जा सकेगा। हालांकि, जो उपयोगकर्ता इसे इस्तेमाल नहीं करना चाहते, वे इसे अपने फोन से हटा सकते हैं।
विपक्ष ने उठाए गोपनीयता संबंधी सवाल
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस ऐप को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह ऐप नागरिकों की प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है, क्योंकि इससे उपयोगकर्ता की रियल-टाइम लोकेशन, सर्च हिस्ट्री, वित्तीय लेनदेन और मैसेजिंग ऐप जैसे SMS व WhatsApp तक की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि सरकार ने मोबाइल कंपनियों को निर्देश दिया है कि ऐप हर फीचर फोन और स्मार्टफोन में प्री-इंस्टॉल हो और इसे हटाया या डिसेबल न किया जा सके। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि ऐप में ‘किल स्विच’ मौजूद होने पर सरकार किसी भी फोन को दूर से बंद कर सकती है, जिससे पत्रकारों, विपक्षी नेताओं और असहमति रखने वालों को निशाना बनाना आसान हो जाएगा।
सांसद ने कहा कि पासवर्ड, बैंक अकाउंट और अन्य निजी डेटा सरकार या हैकर की पहुंच में आ सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि किसी कंपनी ने अपडेट में देरी की तो लाखों फोन महीनों तक जोखिम में रहेंगे।
सुरजेवाला ने सरकार से तीन अहम सवाल पूछे:
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अनिवार्य ऐप इंस्टॉलेशन का कानूनी अधिकार क्या है?
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अनिवार्य सॉफ्टवेयर अपडेट किस अधिकार के तहत लागू किया जा रहा है?
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क्या स्वतंत्र सुरक्षा ऑडिट, डेटा सुरक्षा उपाय और दुरुपयोग रोकने की व्यवस्था मौजूद है?
संचार साथी ऐप को लेकर यह बहस नागरिक सुरक्षा और गोपनीयता अधिकारों के बीच संतुलन की चुनौती को सामने ला रही है और आने वाले दिनों में संसद में इसे लेकर और चर्चा हो सकती है।