नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने मंगलवार को एंटीबायोटिक के अनियंत्रित उपयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि दवाओं के दुरुपयोग ने देश में एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (एएमआर) की चुनौती को और गंभीर बना दिया है। नड्डा राष्ट्रीय एएमआर कार्ययोजना (NAP–AMR 2025–29) के दूसरे संस्करण के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे।

कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि एएमआर से निपटना किसी एक संस्था का काम नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य, पशुपालन, पर्यावरण और दवा क्षेत्र—सभी के संयुक्त प्रयासों से ही यह लड़ाई जीती जा सकती है। नड्डा ने बताया कि भारत ने एएमआर के खिलाफ अपनी पहल वर्ष 2010 में शुरू की थी और 2017 में पहली राष्ट्रीय कार्ययोजना को लागू किया गया था।

उन्होंने चेताया कि यदि एंटीबायोटिक की प्रभावशीलता कम होती रही, तो यह सर्जरी, कैंसर उपचार, आईसीयू प्रबंधन जैसे गंभीर चिकित्सकीय क्षेत्रों को सीधे प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा कि नए संस्करण की कार्ययोजना में जवाबदेही बढ़ाने, विभागों के बीच बेहतर समन्वय बनाने और निजी स्वास्थ्य क्षेत्र को अधिक सक्रिय भूमिका देने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही जन-जागरूकता, प्रशिक्षण, लैब नेटवर्क को मजबूत करना और अस्पतालों में संक्रमण रोकथाम को सुदृढ़ करना प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल किया गया है।