‘बांग्ला को बताया बांग्लादेशी’, ममता बनर्जी ने दिल्ली पुलिस पर साधा निशाना

दिल्ली पुलिस द्वारा एक पत्र में बांग्ला भाषा को ‘बांग्लादेशी’ कहे जाने पर विवाद गहरा गया है। इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे राष्ट्रविरोधी करार दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दिल्ली पुलिस के पत्र की प्रति साझा करते हुए लिखा कि यह शर्मनाक है कि हमारी मातृभाषा बांग्ला को विदेशी भाषा बताया जा रहा है।

ममता ने कहा, “यह रवींद्रनाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद की भाषा है, इसी भाषा में हमारा राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत रचा गया है। इसे ‘बांग्लादेशी’ कहना संविधान और राष्ट्रीय गौरव का अपमान है।”

बांग्ला: भारत की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत

बांग्ला भाषा भारत की समृद्ध भाषाओं में शामिल है और इसका साहित्यिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक इतिहास अत्यंत प्रभावशाली रहा है। बंगाली लेखकों और चिंतकों ने देश की सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है।

बांग्ला साहित्य में संस्कृत ग्रंथों के अनुवाद से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन की चेतना जगाने वाले लेखन तक, अनेक कालखंडों में समाज को दिशा देने का कार्य हुआ है। इसी योगदान को देखते हुए केंद्र सरकार ने 3 अक्टूबर 2024 को इसे ‘क्लासिकल लैंग्वेज’ का दर्जा प्रदान किया था।

कैसे हुई बांग्ला भाषा की उत्पत्ति?

बांग्ला भाषा इंडो-आर्यन भाषाओं की आधुनिक शाखा से विकसित हुई है। इसका मूल स्रोत मगधी प्राकृत मानी जाती है, जो बिहार के मगध क्षेत्र से निकली थी। भाषाविदों के अनुसार, बांग्ला भाषा तीन प्रमुख चरणों से गुज़री है:

  • प्राचीन बांग्ला (1000–1350 ई.)
  • मध्यकालीन बांग्ला (1350–1800 ई.)
  • आधुनिक बांग्ला (1800 ई. से वर्तमान तक)

भारत में बांग्लाभाषियों की स्थिति

भारत में बांग्ला, हिंदी के बाद सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम, और अंडमान-निकोबार जैसे क्षेत्रों में इसकी व्यापक उपस्थिति है। वर्ष 2021 की जनगणना के अनुसार, लगभग 9.72 करोड़ भारतीय बांग्ला बोलते हैं, जो देश की कुल जनसंख्या का करीब 8% है।

दुनिया में कितने लोग बोलते हैं बांग्ला?

बांग्ला भाषियों की संख्या वैश्विक स्तर पर भी काफी बड़ी है। भारत और बांग्लादेश के अतिरिक्त, अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, यूएई, मलेशिया, सिंगापुर, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी बंगाली समुदाय की अच्छी-खासी मौजूदगी है।

एक अनुमान के अनुसार, विश्वभर में करीब 24 करोड़ लोग इसे अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं, जबकि 4 करोड़ से अधिक लोग इसे दूसरी भाषा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इस आधार पर बांग्ला विश्व की छठी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।

भारत में भाषाई राजनीति और विवाद

बांग्ला भाषा को लेकर देश में समय-समय पर राजनीतिक विवाद भी खड़े होते रहे हैं। खासकर पश्चिम बंगाल में क्षेत्रीय अस्मिता और भाषाई पहचान को लेकर आंदोलनों का इतिहास रहा है। 1980 और 1990 के दशक में हिंदी के विरोध में आंदोलन हुए, जिनमें रेलवे स्टेशनों के हिंदी साइनबोर्ड पर कालिख पोती गई थी।

बांग्ला भाषा विवाद और बांग्लादेश का गठन

भारत विभाजन के बाद बने पाकिस्तान में पूर्वी हिस्से—आज का बांग्लादेश—में बांग्ला बोलने वालों की बहुलता थी। लेकिन वहां की सरकार द्वारा उर्दू थोपने की कोशिशों ने बड़े पैमाने पर विरोध को जन्म दिया। 1952 में ढाका में छात्रों के आंदोलन के दौरान कई लोगों की जान चली गई।

यह आंदोलन आगे चलकर बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का आधार बना और अंततः 1971 में बांग्लादेश स्वतंत्र राष्ट्र बना। इस संघर्ष में बांग्ला भाषा और उसकी अस्मिता की रक्षा केंद्रीय कारण बनी।

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