गुवाहाटी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि जो भारत पर गर्व करता है, वही हिंदू है। उन्होंने हिंदू को केवल धार्मिक शब्द नहीं, बल्कि एक सभ्यतागत और सांस्कृतिक पहचान बताया। भागवत ने स्पष्ट किया कि भारत और हिंदू पर्यायवाची हैं और देश की सभ्यता पहले से ही इसे ‘हिंदू राष्ट्र’ के रूप में प्रस्तुत करती है।

गुवाहाटी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आरएसएस की स्थापना किसी विरोध या नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और भारत को वैश्विक नेता बनाने के लिए की गई थी। भागवत ने कहा, “हमारा उद्देश्य भारत को विविधता के बीच भी एकजुट रखना है। यही संघ की पहचान है।”

घुसपैठ और जनसांख्यिकीय बदलाव पर चिंता
संघ प्रमुख ने असम में जनसांख्यिकीय बदलावों को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि देशवासियों को अपनी जमीन, संस्कृति और पहचान के प्रति जागरूक और सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने अवैध घुसपैठ, संतुलित जनसंख्या नीति और धर्मांतरण के विरोध पर भी जोर दिया।

भागवत ने सभी समाज वर्गों से अपील की कि वे निस्वार्थ भाव से मिलकर काम करें और देश की एकता और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत बनाएं।