पश्चिम बंगाल में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान को लेकर सियासी और प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है। शुरुआती जांच में करीब 32 लाख मतदाताओं को ‘अज्ञात’ की श्रेणी में रखे जाने के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में सुनवाई शिविर लगाए गए हैं। इसी बीच तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए 31 दिसंबर को आयोग से मुलाकात का फैसला किया है।
एसआईआर शिविरों में मतदाताओं की बढ़ी चिंता
शनिवार से शुरू हुई सुनवाई प्रक्रिया में बड़ी संख्या में मतदाता शिविरों में पहुंचे। कई लोगों को अपने वोटर रिकॉर्ड में मामूली त्रुटियों के कारण नोटिस मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ा। उत्तर 24 परगना की रहने वाली अंकिता मुखर्जी, जो चेन्नई में काम करती हैं, को नाम की वर्तनी में गलती के कारण गांव आना पड़ा। उन्होंने कहा कि पहले कई चुनावों में मतदान कर चुकी हैं और उम्मीद है कि उनका नाम अंतिम सूची में रहेगा।
बुजुर्ग मतदाताओं को भी झेलनी पड़ी दिक्कत
राज्य के अलग-अलग जिलों से बुजुर्ग मतदाताओं की परेशानियां सामने आईं। कहीं उपनाम की वर्तनी, तो कहीं पुराने रिकॉर्ड न होने की वजह से नोटिस जारी किए गए। कई महिलाओं ने बताया कि सभी जरूरी दस्तावेज जमा करने के बावजूद उन्हें कारण स्पष्ट नहीं किया गया। चुनाव आयोग के मुताबिक पहले दिन 3,234 केंद्रों पर सुनवाई हुई। एसआईआर के बाद जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से लगभग 58 लाख नाम हटाए गए हैं, जिनके पीछे मृत्यु, पलायन और दस्तावेजों की कमी जैसे कारण बताए गए हैं।
अभिषेक बनर्जी का चुनाव आयोग पर तीखा हमला
टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने चुनाव आयोग पर सीधा निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया बंगाल को निशाना बनाकर चलाई जा रही है। उन्होंने दावा किया कि इस अभियान के दौरान कई लोगों की जान गई और अनेक बूथ लेवल अधिकारी मानसिक दबाव में आए। बनर्जी ने सवाल उठाया कि यदि अधिकांश डेटा मैपिंग पहले से पूरी थी, तो इतने बड़े पैमाने पर मतदाताओं को अज्ञात क्यों घोषित किया गया।
उन्होंने यह भी पूछा कि केवल बंगाल में ही माइक्रो-ऑब्जर्वर तैनात करने का फैसला क्यों लिया गया। उनका आरोप है कि आयोग निष्पक्ष न रहकर केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यदि अवैध मतदाताओं की सूची मौजूद है तो उसे सार्वजनिक किया जाए।
31 दिसंबर को आयोग से मिलेगा टीएमसी प्रतिनिधिमंडल
तृणमूल कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल 31 दिसंबर को मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात करेगा। इस दल में अभिषेक बनर्जी और डेरेक ओ’ब्रायन भी शामिल होंगे। पार्टी का कहना है कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो राज्यभर में आंदोलन तेज किया जाएगा। इसके साथ ही 2 से 22 जनवरी तक जनसंपर्क अभियान चलाने की घोषणा की गई है, ताकि किसी भी वैध मतदाता का नाम अंतिम सूची से न कटे।
सांसद काकली घोष का उत्पीड़न का आरोप
टीएमसी सांसद काकली घोष दस्तीदार ने भी एसआईआर को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि उनके परिवार के कई सदस्यों को नोटिस भेजा गया, जबकि वे वर्षों से पंजीकृत मतदाता हैं। वहीं, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि नियमों के तहत दस्तावेजी सत्यापन के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।
एसआईआर को लेकर बंगाल में माहौल लगातार गर्म बना हुआ है। एक ओर चुनाव आयोग प्रक्रिया को पारदर्शी बता रहा है, तो दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस इसे आम मतदाताओं के अधिकारों से जोड़कर देख रही है।