गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को गुजरात के आणंद जिले में देश के पहले त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय (टीएसयू) की आधारशिला रखी। यह संस्थान जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान परिसर में विकसित किया जाएगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि यह विश्वविद्यालय सहकारी क्षेत्र में योग्यता और पारदर्शिता को बढ़ावा देगा तथा भाई-भतीजावाद की प्रवृत्ति पर रोक लगाएगा।

500 करोड़ की लागत से बनेगा विश्वविद्यालय

यह विश्वविद्यालय 125 एकड़ भूमि पर लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया जाएगा और इसका नाम प्रसिद्ध सहकारिता नेता त्रिभुवनदास किशीभाई पटेल के सम्मान में रखा गया है। त्रिभुवनदास पटेल को अमूल डेयरी की स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है, जिसने भारत के दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत की थी।

युवाओं को मिलेगा प्रशिक्षण और रोजगार: अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि पहले सहकारी संस्थाओं में नियुक्तियों के बाद प्रशिक्षण दिया जाता था, लेकिन अब त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय इस क्रम को उलटते हुए पहले युवाओं को प्रशिक्षित करेगा और फिर उन्हें अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने बताया कि देश की लगभग 25 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहकारी क्षेत्र से जुड़ी हुई है, जो इस क्षेत्र की व्यापकता को दर्शाता है।

डॉ. वर्गीज कुरियन को लेकर दी सफाई

श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन के नाम पर विश्वविद्यालय न रखे जाने पर उठे सवालों के जवाब में शाह ने कहा कि डॉ. कुरियन की भूमिका अतुलनीय है, परंतु त्रिभुवनदास पटेल ने इस आंदोलन की बुनियाद रखी थी और उनके विजन के कारण ही यह क्षेत्र आज इतना विस्तृत और सशक्त है।

कांग्रेस पर तीखा प्रहार

शाह ने विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस, पर निशाना साधते हुए कहा कि वे त्रिभुवनदास पटेल को लेकर सवाल उठा रहे हैं जबकि वे खुद उनकी पार्टी के नेता रहे हैं, उस समय भाजपा का अस्तित्व तक नहीं था। शाह ने कहा कि यह विश्वविद्यालय सहकारिता क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार करेगा और युवाओं को बेहतर प्रशिक्षण के साथ रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएगा।