भारत-पाक संघर्ष नहीं, वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई है: जयशंकर

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य कार्रवाई केवल द्विपक्षीय संघर्ष नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक वैश्विक अभियान है, जो भविष्य में पश्चिमी देशों के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है। एक साक्षात्कार में उन्होंने दो टूक कहा कि पाकिस्तान लम्बे समय से आतंकी समूहों को संरक्षण देता रहा है।

जयशंकर ने कहा, “ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान की सैन्य छावनी में वर्षों तक सुरक्षित क्यों रहा? यह दुनिया के लिए सोचने का विषय है।” उन्होंने यह बात जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में कही।

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मीडिया को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि भारत-पाक संघर्ष को प्रतिशोध के रूप में दिखाना एकतरफा और भ्रामक है। उन्होंने कहा, “यह केवल दो देशों का मामला नहीं, बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध साझा वैश्विक संघर्ष है। जो चरमपंथ भारत को लंबे समय से झेलना पड़ा है, वही कल यूरोप और अमेरिका के सामने भी खड़ा हो सकता है।”

‘संवाद से निकले समाधान, युद्ध नहीं’

रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्थिति को स्पष्ट करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत किसी भी टकराव का समाधान युद्ध के बजाय संवाद में देखता है। उन्होंने कहा, “भारत के रूस और यूक्रेन दोनों से मजबूत संबंध हैं और हर राष्ट्र अपने अनुभवों, इतिहास और हितों के आधार पर नीति तय करता है।”

‘1947 में भी पाकिस्तान ने किया था अतिक्रमण’

जयशंकर ने यह भी याद दिलाया कि स्वतंत्रता के कुछ ही महीनों बाद 1947 में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ कर सीमाओं का उल्लंघन किया था, लेकिन कई पश्चिमी देशों ने उस समय चुप्पी साध ली थी। उन्होंने कहा कि अब जब वही देश अंतरराष्ट्रीय नियमों की दुहाई देते हैं, तो उन्हें अपने इतिहास की भी समीक्षा करनी चाहिए।

यूरोपीय व्यापार नीति पर भारत की आपत्ति

यूरोपीय संघ के ‘कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM)’ को लेकर जयशंकर ने कहा कि भारत इसका पूर्ण विरोध नहीं करता, लेकिन कुछ बिंदुओं पर असहमति जरूर है। उन्होंने कहा, “हम नहीं मानते कि कोई एक क्षेत्र बाकी दुनिया के लिए मानक तय करे—यह विचार भारत के लिए स्वीकार्य नहीं है।”

अमेरिका के साथ गहरे होते रिश्ते

भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर जयशंकर ने कहा कि अमेरिका भारत का एक अहम रणनीतिक साझेदार है और दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करना भारत की विदेश नीति की प्राथमिकता में शामिल है।

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