दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बीच सरकारें ग्रेडेड एक्शन रिस्पॉन्स प्रोटोकॉल (ग्रैप) के तहत कड़े प्रतिबंध लागू कर रही हैं। ग्रैप-3 के सक्रिय होने के बाद राजधानी सहित पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कई हिस्सों में निर्माण गतिविधियां रोक दी गई हैं, जिसके कारण बड़ी संख्या में दिहाड़ी मजदूरों की आजीविका पर असर पड़ा है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए संबंधित राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि निर्माण बंद होने से प्रभावित मजदूरों को गुजारा भत्ता उपलब्ध कराया जाए। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि प्रदूषण नियंत्रण उपायों की नियमित समीक्षा अनिवार्य है और सरकारें यह सुनिश्चित करें कि लागू कदम प्रभावी हों।
कोर्ट ने आगे निर्देश दिया कि वायु प्रदूषण से जुड़े सभी मुद्दों और उठाए गए कदमों की मासिक रिपोर्ट तैयार की जाए, ताकि मॉनिटरिंग प्रक्रिया पारदर्शी हो सके। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदूषण रोकने के लिए जो भी ठोस और बेहतर उपाय सामने आते हैं, उनका स्वागत किया जाएगा, लेकिन यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि नीतियां बनाते समय सभी हितधारकों के हितों का संतुलन भी कायम रहे।