कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के उस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें बेंगलुरु के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त विकास कुमार को बहाल करने का निर्देश दिया गया था। विकास कुमार को बीते महीने एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुए भगदड़ कांड के बाद निलंबित कर दिया गया था, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी और 56 अन्य घायल हुए थे।
राज्य सरकार ने याचिका में कहा है कि न्यायाधिकरण ने निलंबन को उचित ठहराने वाले तथ्यों को नजरअंदाज किया और निर्णय प्रक्रिया में न्यायिक मर्यादाओं का पालन नहीं किया। सरकार का कहना है कि कैट ने विभागीय जांच के बिना ही निर्णय देते हुए अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है और यह निर्णय पूर्व निर्धारित कानूनी सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है।
कैट ने बहाली का दिया था आदेश
गौरतलब है कि एक जुलाई को कैट की पीठ—बीके श्रीवास्तव और संतोष मेहरा ने विकास कुमार के निलंबन को निरस्त करते हुए उन्हें तत्काल बहाल करने का निर्देश दिया था। ट्रिब्यूनल ने कहा था कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य इस कार्रवाई के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
कैट ने आरसीबी को ठहराया प्रथम दृष्टया जिम्मेदार
वहीं, मंगलवार को कैट ने अपने अलग आदेश में चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर चार जून को हुई भगदड़ के लिए प्रारंभिक रूप से रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) को उत्तरदायी माना है। न्यायाधिकरण के अनुसार, आरसीबी ने पुलिस प्रशासन से समुचित अनुमति या समन्वय नहीं किया था और सोशल मीडिया पर अचानक कार्यक्रम की सूचना जारी कर दी, जिससे भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
कैट का कहना है कि इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को पर्याप्त तैयारी का समय नहीं मिला। पोस्ट के कारण अचानक तीन से पांच लाख लोगों की भीड़ जमा हो गई, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई।
हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई बाकी
राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका पर कर्नाटक हाईकोर्ट में अब तक सुनवाई की तारीख तय नहीं हुई है। सरकार का कहना है कि इस मामले में जल्द सुनवाई आवश्यक है, ताकि पुलिस प्रशासन की छवि और अनुशासनिक प्रक्रिया पर प्रभाव न पड़े।