इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (IOC) ने भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) के लिए ओलंपिक सॉलिडैरिटी फंडिंग फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। IOC के कार्यकारी बोर्ड ने पिछले साल खिलाड़ी विकास कार्यक्रम के लिए 15 करोड़ रुपये का वार्षिक अनुदान रोक दिया था। यह कदम IOA में आंतरिक विवाद और सुशासन संबंधी समस्याओं के कारण उठाया गया था। हाल ही में IOA द्वारा किए गए सुधार और भारत सरकार के सहयोग को देखते हुए, IOC ने फंडिंग बहाल करने का निर्णय लिया।
पिछले साल IOA में मुख्य विवाद रघुराम अय्यर की CEO नियुक्ति को लेकर था। 12 कार्यकारी परिषद सदस्यों ने उनकी उच्च सैलरी के कारण नियुक्ति का विरोध किया। इसके अलावा, सीएजी की रिपोर्ट में गलत स्पॉन्सरशिप समझौते से 24 करोड़ रुपये के नुकसान की बात सामने आई थी। इन कारणों से IOC ने फंडिंग रोक दी थी, जिससे भारतीय एथलीटों की ट्रेनिंग और विकास प्रभावित हो रहा था।
अब IOC ने IOA और भारत सरकार द्वारा उठाए गए सकारात्मक कदमों को स्वीकार करते हुए ओलंपिक सॉलिडैरिटी फंडिंग फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। इससे एथलीटों को ओलंपिक खेलों और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में तैयारी और भागीदारी में मदद मिलेगी।
IOC के NOC और ओलंपिक एकजुटता निदेशक जेम्स मैकलियोड ने IOA अध्यक्ष पीटी उषा को पत्र लिखकर कहा कि IOA ने आंतरिक विवादों और प्रशासनिक मुद्दों को सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सभी लंबित मुद्दों पर कार्यकारी समिति में पारदर्शी और रचनात्मक चर्चा हुई और आगे मिलकर काम करने पर सहमति बनी है।