पटना में इस जगह चलने लगा बुलडोजर, 98 झोपड़ियों को कर दिया ध्वस्त

पटना सिटी। आलमगंज थाना अन्तर्गत वार्ड-53 में गायघाट स्थित महात्मा गांधी सेतु के नीचे और न्यायिक प्रशिक्षण केंद्र के सामने अस्थायी रूप से बनी झुग्गी-झोपड़ी में जीवन व्यतीत करने वालों के बीच शनिवार को एक बार फिर कोहराम मच गया।

जिला प्रशासन के आदेश पर पुलिस बल की मौजूदगी में अधिकारियों ने जगह अतिक्रमित कर बनाई गई 98 झोपड़ियों को हटाया। इस दौरान हंगामा और चीख-पुकार मची रही।

जीवन यापन के लिए जरूरी सामानों को सुरक्षित करने में महिला, पुरुष, बच्चे सभी लगे रहे। दंडाधिकारी सुनील कुमार, निगम के अजीमाबाद अंचल के अतिक्रमण प्रभारी बिट्टू कुमार, टास्क फोर्स के सदस्य अतिक्रमणकारियों को जगह खाली करने का आदेश देते रहे।

उन्होंने कहा कि यहां सड़क और अन्य निर्माण होना है। अतिक्रमण हटाने के लिए 21 पुरुष एवं 20 महिला पुलिस बल, तीन टीपर, तीन जेसीबी, तीन 407 टीपर, एक हाईवा और अन्य उपकरण लगाए गए थे।

अनुमंडलाधिकारी सत्यम सहाय ने खाली कराए जा रहे जगह का निरीक्षण करने के दौरान बताया कि 98 झोपड़ियों को हटाया गया है।

चाहे बुलडोजर चला दो, मर जाएंगे पर यहीं रहेंगे

70 साल की नसीमा, 75 साल के सलमान मियां, सैरून खातून, मोहम्मद सामो और अन्य हाथ जोड़े प्रशासन के सामने रोते-गिड़गिड़ाते रहे। उन्होंने कहा कि चाहे बुलडोजर चला दो, हम मर जाएंगे लेकिन यहीं रहेंगे। हमारी चौथी पीढ़ी यहां रह रही है।

वृद्ध महिला ने बताया कि कांग्रेस की सरकार में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गायघाट में महात्मा गांधी सेतु का वर्ष 1982 को उद्घाटन किया था। उससे पहले से हमारे पूर्वज सेतु के नीचे रह रहे हैं। आज बीजेपी सरकार इसी पुल के बगल में दूसरा गांधी सेतु बना रही है।

हमारी झोपड़ियों को बार-बार नोच दिया जाता है। सामान तोड़ दिया जाता है। हम यहां से कहां जाएं? इन अतिक्रमणकारियों ने कहा कि हम वोट देते हैं। मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड सब कुछ है। हमें आज तक एक धूर जमीन सरकार ने नहीं दी, न ही पक्का मकान दिया।

उन्होंने कहा कि वर्षों से पुनर्वास की मांग की जा रही है। इनका कहना था कि हमें कभी इंसान नहीं हमेशा वोटर समझा गया।

न्यायिक प्रशिक्षण केंद्र के समीप गायघाट से लेकर डंका इमली तक कई परिवार वर्षों से अनाधिकृत रूप से रह रहा है। यहां सड़क व अन्य निर्माण होना है। जिला प्रशासन के निर्देशानुसार अतिक्रमण समाप्त किया जाना है। सामान हटाने के लिए कुछ समय दिया गया है। – सुनील कुमार, कार्यपालक दंडाधिकारी

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