पटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची को लेकर राजनीतिक तापमान तेज हो गया है। शुक्रवार को महागठबंधन ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता में केंद्र की भाजपा सरकार और चुनाव आयोग पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने के आरोप लगाए।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि भाजपा एक योजनाबद्ध तरीके से गरीब, वंचित, मजदूर और दलित समुदायों के मताधिकार को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने दावा किया कि राज्य में आठ करोड़ मतदाताओं की मौजूदा सूची हटाकर नयी वोटर लिस्ट तैयार की जा रही है, जो बेहद चिंताजनक कदम है।
तेजस्वी ने यह भी कहा कि इंडिया गठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही चुनाव आयोग से मिलकर इस मुद्दे पर औपचारिक ज्ञापन सौंपेगा।
“जनता से मताधिकार छीनने की साजिश”
तेजस्वी यादव ने केंद्र के साथ-साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि भाजपा को बिहार में संभावित हार का अंदेशा है, इसलिए लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तंज कसते हुए कहा कि पीएम डरे हुए हैं और नीतीश कुमार बार-बार दिल्ली जाकर चुनावी व्यवस्था में हस्तक्षेप की भूमिका निभा रहे हैं।
“वोटरबंदी, नोटबंदी से भी खतरनाक” – दीपंकर भट्टाचार्य
सीपीआई (एमएल) के नेता दीपंकर भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि मतदाता सूची का दोबारा सत्यापन करना लोकतांत्रिक प्रणाली के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने इसे “वोटरबंदी” करार देते हुए नोटबंदी जैसी एकतरफा कार्यवाही बताया।
उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग का कार्य है कि कोई योग्य मतदाता छूटे नहीं, न कि उन्हें चुनना। यह संविधान के साथ सीधा हस्तक्षेप है। देशभर में चुनाव होते रहे हैं, लेकिन बिहार को राजनीतिक प्रयोगशाला बनाया जा रहा है।”
सड़कों पर उतरने की चेतावनी
महागठबंधन के अन्य नेताओं ने भी आरोप लगाया कि यह पूरी कवायद विपक्षी वोट बैंक को कमजोर करने के इरादे से की जा रही है। उनका कहना है कि यदि यह प्रक्रिया आगे बढ़ती है तो लाखों लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हट सकते हैं, जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठेगा।
नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि आयोग ने मतदाता सूची से छेड़छाड़ जारी रखी, तो राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा। साथ ही उन्होंने आयोग से मौजूदा प्रक्रिया को तत्काल रोकने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की।
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