नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में एक 11 वर्षीय छात्र ने राजधानी में सीएम श्री स्कूलों में कक्षा 6 में प्रवेश के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा की नीति को चुनौती दी है। छात्र का कहना है कि यह प्रक्रिया बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा (आरटीई) अधिनियम, 2009 के अधिकारों का उल्लंघन करती है।
हाईकोर्ट ने याचिका पर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी 2026 को होगी।
छात्र की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने अपील दायर की है, जिसमें सिंगल बेंच के उस फैसले को पलटने की मांग की गई है, जिसने प्रवेश परीक्षा को वैध ठहराया था। यह याचिका 23 जुलाई 2025 को दिल्ली सरकार द्वारा जारी सर्कुलर से जुड़ी है, जिसमें 2025-26 शैक्षणिक सत्र के लिए कक्षा 6 से 8 तक प्रवेश के दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए थे।
याचिका में दावा किया गया है कि प्राथमिक स्तर पर प्रवेश परीक्षा आयोजित करना गैरकानूनी है और यह आरटीई एक्ट, 2009 का उल्लंघन करता है। आरटीई एक्ट की धारा 13 के तहत प्रवेश प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की स्क्रीनिंग पर रोक है, ताकि बच्चों के मुफ्त, निष्पक्ष और भेदभावरहित शिक्षा के अधिकार की रक्षा हो सके।
याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रवेश परीक्षा पारदर्शिता, समानता और समावेशिता के सिद्धांतों को कमजोर करती है और संविधान के अनुच्छेद 21-ए का हनन करती है।