राजधानी दिल्ली के सीलमपुर क्षेत्र में शुक्रवार को एक दर्दनाक हादसे में चार मंजिला इमारत ढह गई। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, लगभग आठ लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है। राहत और बचाव कार्य जारी है और अब तक चार लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। मौके पर पुलिस, दमकल और एनडीआरएफ की टीमें राहत कार्य में जुटी हुई हैं, जबकि स्थानीय लोग भी मलबा हटाने में सहयोग कर रहे हैं।
दमकल विभाग के अनुसार, मलबे में अभी भी कई लोगों के दबे होने की आशंका है। सात दमकल वाहन मौके पर तैनात हैं और घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राहत अभियान युद्ध स्तर पर चल रहा है।
आजाद मार्केट में भी हुआ था हादसा, एक की गई थी जान
एक दिन पहले आजाद मार्केट इलाके में भी एक पुरानी इमारत गिरने से जानमाल का नुकसान हुआ था। यह घटना दिल्ली मेट्रो के जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम मार्ग कॉरिडोर के लिए चल रहे सुरंग निर्माण कार्य के पास हुई थी। हादसे में 45 वर्षीय मनोज शर्मा की मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया है।
दिल्ली मेट्रो प्रबंधन ने मृतक के परिवार को पांच लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की है और घटना की जांच भी शुरू कर दी गई है। बताया गया कि मृतक मनोज शर्मा एक दुकान में कर्मचारी के रूप में पिछले 30 वर्षों से कार्यरत थे और हादसे के समय इमारत की छत पर सो रहे थे।
पुरानी इमारतें बनीं हादसे का कारण, व्यापारियों ने मेट्रो प्रबंधन पर उठाए सवाल
पुल मिठाई के टोकरीवालान क्षेत्र में रात करीब 1:55 बजे सूचना मिलने पर पुलिस और दमकल की टीम मौके पर पहुंच गई थी। बताया गया कि गिरने वाली इमारत करीब 70-80 वर्ष पुरानी थी, जिसमें दुकानों के अलावा एक गोदाम भी था। इमारत गिरने से एक ट्रक और स्कूटी को भी नुकसान हुआ।
एनडीआरएफ, डीडीएमए, कैट्स एंबुलेंस और फोरेंसिक टीमों ने राहत कार्य में तत्परता दिखाई और मलबे से मनोज शर्मा को बाहर निकाला गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई।
इस घटना के बाद स्थानीय व्यापारियों ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन (फेस्टा) के अध्यक्ष राकेश यादव ने कहा कि यदि यह घटना दिन में होती, तो और भी बड़ा नुकसान हो सकता था। व्यापारियों का आरोप है कि डीएमआरसी ने जर्जर इमारतों को नोटिस तो जारी किए, लेकिन उन्हें खाली कराने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे यह दुर्घटनाएं घटीं।