दिल्ली नगर निगम में विपक्ष के नेता और आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षद अंकुश नारंग ने एमसीडी में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि शिक्षा जीवन का मूल आधार है और जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, तब बजट का लगभग एक चौथाई हिस्सा शिक्षा के लिए रखा जाता था। हमारी मंशा थी कि एमसीडी में भी शिक्षा की गुणवत्ता को प्राथमिकता दी जाए, लेकिन जब लोग शिक्षित होते हैं तो अपने अधिकारों की बात करते हैं—और शायद यही भाजपा को असहज करता है। लेकिन आम आदमी पार्टी की सोच इससे बिल्कुल अलग है।
सीनियरिटी सूची को लेकर उठाए सवाल
नारंग ने कहा कि एमसीडी के शिक्षा विभाग ने 4 जून 2025 को एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें शिक्षकों की वरिष्ठता सूची तैयार करने की बात कही गई। यह प्रक्रिया लगभग तीन दशकों में पहली बार शुरू हुई है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब इतने वर्षों से एमसीडी में भाजपा का शासन रहा है तो यह कदम अब क्यों उठाया गया? सर्कुलर के अनुसार 1995 से 2002 तक की सूची बनाई गई और एक अस्थायी सूची पोर्टल पर अपलोड कर दी गई, जिस पर कई आपत्तियाँ दर्ज की गई हैं।
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश (DoPT) के अनुसार, वरिष्ठता नियुक्ति तिथि के आधार पर तय होती है। लेकिन सूची में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां पुराने जॉइनिंग डेट वाले शिक्षकों को पीछे रखा गया है।
वरिष्ठता तय करने के नियमों की अनदेखी
नारंग ने स्पष्ट किया कि वरिष्ठता तीन मानकों पर तय होती है—नियुक्ति की तिथि, जन्मतिथि और DSSSB की मेरिट सूची। इसके बावजूद, एमसीडी ने डाक द्वारा प्राप्त दस्तावेजों की तारीख के आधार पर सूची तैयार की है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह जानबूझकर किया गया ताकि भाजपा से जुड़े लोगों को लाभ मिल सके और उन्हें गलत तरीके से पदोन्नति दी जा सके।
भाजपा नेता पर अपने लोगों की नियुक्ति कराने का आरोप
आप पार्षद ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा के एक नेता ने अपने करीबी लोगों की नियुक्ति एमसीडी स्कूलों में कराई और अब उन्हें वरिष्ठता सूची में शामिल कर लिया गया है। उन्होंने इसे शिक्षा विभाग और भाजपा की मिलीभगत से किया गया भ्रष्टाचार करार दिया।
46 शिक्षकों का मनमाने तरीके से ट्रांसफर
उन्होंने कहा कि हाल ही में 46 शिक्षकों का स्थानांतरण किया गया, जिसमें कई ऐसे शिक्षक शामिल थे जिन्होंने स्थानांतरण की मांग ही नहीं की थी। इनमें एक कैंसर की अंतिम अवस्था से जूझ रही महिला शिक्षक और स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित महिला भी शामिल थीं, जिनका स्थानांतरण सिर्फ सत्ता से जुड़े लोगों को एडजस्ट करने के लिए किया गया।
नारंग ने कहा कि डिप्टी मेयर स्वयं कहते हैं कि महिला शिक्षकों की तैनाती उनके घर के पास होनी चाहिए, लेकिन हकीकत में गंभीर रूप से बीमार शिक्षिकाओं को दूरस्थ स्थानों पर भेज दिया गया।
यूनिफॉर्म घोटाले का भी लगाया आरोप
उन्होंने एक और बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि नरेला क्षेत्र में लगभग 60 हजार छात्रों की यूनिफॉर्म, जिसकी कीमत करीब 6 करोड़ 60 लाख थी, दस वर्षों तक स्टोर में पड़ी रही। कहा गया कि ये ड्रेस “ओवरसाइज़” थीं। नारंग के अनुसार, इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों और निदेशकों को जांच से बचाया जा रहा है, जबकि गवाहों को धमकाया गया है।
मेयर से जांच की मांग
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से जुड़े इन मामलों में निष्पक्ष जांच की जिम्मेदारी मेयर राजा इकबाल की है और उन्हें शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली की जांच तत्काल शुरू करानी चाहिए।
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