नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने साफ निर्देश दिया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से जुड़े सभी कॉलेजों को प्रवेश प्रक्रिया के दौरान पाठ्येतर गतिविधियों (ECA) और खेल कोटे के तहत 5% आरक्षण का कड़ाई से पालन करना होगा। अदालत ने यह आदेश एक राष्ट्रीय स्तर की लॉन टेनिस स्वर्ण पदक विजेता की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।
यह याचिका नाबालिग अदिति रावत की ओर से उसकी मां अनीता रावत ने दायर की थी। अदिति ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए हिंदू कॉलेज में खेल कोटे के तहत सीट की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता जितेंद्र गुप्ता, भरत रावत और आशीष मिश्रा ने तर्क दिया कि डीयू की प्रवेश नीति के अनुसार हर कॉलेज में कुल स्वीकृत सीटों का 5% ईसीए और खेल गतिविधियों के लिए सुरक्षित होना चाहिए। जबकि हिंदू कॉलेज ने 956 स्वीकृत सीटों में से केवल 10-10 सीटें ईसीए और खेल कोटे के लिए तय की थीं, जो अनिवार्य 47 सीटों से काफी कम हैं।
डीयू की ओर से दाखिल हलफनामे में यह स्वीकार किया गया कि कॉलेजों पर 5% सीटें ईसीए/खेल कोटे के लिए सुरक्षित रखने की बाध्यता है। न्यायमूर्ति विकास महाजन ने कहा कि इस पर कोई भ्रम नहीं है, नियम स्पष्ट हैं। हालांकि, चूंकि मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए स्पोर्ट्स कोटे की केंद्रीकृत प्रवेश प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी थी और याचिकाकर्ता को लेडी श्रीराम कॉलेज में इस कोटे के तहत प्रवेश मिल चुका था, इसलिए तत्काल राहत नहीं दी जा सकती।
अदालत ने याचिकाकर्ता के वकीलों की इस मांग को स्वीकार किया कि भविष्य में सभी कॉलेज इस नियम का पालन सुनिश्चित करें। डीयू की ओर से भी इस पर सहमति जताई गई। अदालत ने भरोसा जताया कि आगे से विश्वविद्यालय के सभी कॉलेज सूचना बुलेटिन में दिए गए अनिवार्य 5% ईसीए/खेल आरक्षण का कड़ाई से अनुपालन करेंगे। इसी निर्देश के साथ याचिका का निपटारा कर दिया गया।