राजधानी में स्थानीय परिस्थितियों के कारण वायु प्रदूषण की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हो पाया है। हवा की रफ्तार कमजोर रहने से लगातार सातवें दिन भी दिल्ली की हवा ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। रविवार सुबह राजधानी के कई हिस्सों में घनी धुंध और कोहरे की चादर छाई रही, जिससे दृश्यता काफी कम हो गई। स्मॉग की वजह से लोगों को सुबह के समय आवाजाही में भी परेशानी झेलनी पड़ी।

दिल्ली के लिए एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम के अनुसार, रविवार सुबह औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 366 दर्ज किया गया, जो बेहद खराब स्तर को दर्शाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सुबह आठ बजे जारी आंकड़ों के मुताबिक, अलीपुर में एक्यूआई 391, आनंद विहार में 404, अशोक विहार में 392, आया नगर में 304, बवाना में 408 और बुराड़ी में 341 रिकॉर्ड किया गया। चांदनी चौक क्षेत्र में एक्यूआई 375 दर्ज हुआ।

इसके अलावा डीटीयू में 400, द्वारका सेक्टर-8 में 387, आईजीआई एयरपोर्ट टी-3 क्षेत्र में 314, आईटीओ में 370, जहांगीरपुरी में 403, लोधी रोड पर 339, मुंडका में 401, पंजाबी बाग में 380, आरकेपुरम में 381, रोहिणी में 402, सोनिया विहार में 370, विवेक विहार में 388 और वजीरपुर में 405 एक्यूआई दर्ज किया गया।

इंडिया गेट और कर्तव्य पथ के आसपास भी धुंध की परत नजर आई। सीपीसीबी के अनुसार, इस क्षेत्र का एक्यूआई 363 रहा, जिसे ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रखा गया है। बोर्ड का अनुमान है कि सोमवार तक वायु गुणवत्ता में खास सुधार की संभावना नहीं है।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्तर का प्रदूषण सांस के मरीजों, बुजुर्गों और बच्चों के लिए गंभीर परेशानी पैदा कर सकता है। लोगों को आंखों में जलन, खांसी, खुजली और सिर दर्द जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

वहीं, वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए नगर निगम ने सख्ती बढ़ा दी है। दिसंबर महीने में प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों के खिलाफ चलाए गए अभियान के दौरान एमसीडी ने बायोमास जलाने, निर्माण एवं विध्वंस (सीएंडडी) कचरे के अवैध निस्तारण और अन्य उल्लंघनों पर कार्रवाई करते हुए कुल 54.98 लाख रुपये के चालान जारी किए। इस दौरान 34 अवैध जींस डाइंग इकाइयों को भी सील किया गया।

एमसीडी के अनुसार, सीएंडडी कचरे की अवैध डंपिंग और वायु प्रदूषण से जुड़े अन्य मामलों में 7,023 चालान काटे गए, जिनकी कुल राशि 43.26 लाख रुपये रही। एक से 20 दिसंबर के बीच सभी 12 जोनों में 356 निगरानी टीमों को तैनात कर व्यापक निरीक्षण अभियान चलाया गया। इस दौरान 420 उल्लंघनकर्ताओं पर कार्रवाई कर लगभग 11.72 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। निर्माण एवं विध्वंस नियमों के उल्लंघन पर अलग से 33.95 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया।