नई दिल्ली। हाल ही में इंडिगो की बड़ी संख्या में प्रभावित उड़ानों ने देशभर के यात्रियों की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। इन घटनाओं ने विमानन क्षेत्र की कार्यप्रणाली और निगरानी तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े किए। इसी पृष्ठभूमि में केंद्र सरकार ने अब तकनीकी खामियों की रिपोर्टिंग और जांच से जुड़े नियमों को पूरी तरह सख्त कर दिया है।

डीजीसीए ने विमान परिचालन के दौरान सामने आने वाली तकनीकी समस्याओं पर नियंत्रण के लिए डिफेक्ट रिपोर्टिंग सिस्टम में व्यापक बदलाव किए हैं। उड़ानों में हाल के दिनों में बढ़ी देरी, रद्दीकरण और सुरक्षा संबंधी घटनाओं ने नियामक को कड़े कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।

तकनीकी देरी पर अनिवार्य जांच

नए 12 पन्नों के निर्देशों के अनुसार, अब किसी भी नियमित उड़ान में तकनीकी कारणों से 15 मिनट या उससे अधिक की देरी होने पर उसकी जांच अनिवार्य होगी। एयरलाइन कंपनियों को यह स्पष्ट करना होगा कि देरी किन कारणों से हुई और समस्या का समाधान कैसे किया गया।

72 घंटे में विस्तृत रिपोर्ट अनिवार्य

निर्देशों में यह भी कहा गया है कि ऐसी त्रुटि दोबारा न हो, इसके लिए उठाए गए कदमों की जानकारी भी रिपोर्ट में शामिल करनी होगी। किसी भी मेजर डिफेक्ट की स्थिति में एयरलाइन को तुरंत फोन पर डीजीसीए को सूचना देनी होगी और 72 घंटे के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपना अनिवार्य होगा।

बार-बार दोहराई गई त्रुटियों पर विशेष जांच

नए नियमों के तहत यदि कोई तकनीकी खामी तीन बार दोहराई जाती है, तो उसे रिपीटेटिव डिफेक्ट मानते हुए अलग स्तर पर विशेष जांच शुरू की जाएगी। अधिकारियों के अनुसार पुराने नियमों में 15 मिनट की देरी की अनिवार्य जांच जैसे सख्त प्रावधान मौजूद नहीं थे, जिसके चलते रिपोर्टिंग प्रणाली कमजोर मानी जाती थी।

सरकार को उम्मीद है कि नई व्यवस्था से उड़ान संचालन की विश्वसनीयता बढ़ेगी और तकनीकी खामियों पर बेहतर नियंत्रण स्थापित होगा।