शालीमार बाग स्थित एक निजी अस्पताल में एक 30 वर्षीय व्यक्ति की दुर्लभ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल आपात स्थिति का सफल उपचार किया गया। अस्पताल के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के प्रमुख और वरिष्ठ निदेशक डॉ. रमेश गर्ग के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम ने मात्र 30 मिनट में एंडोस्कोपी कर मरीज के पेट से धातु का चम्मच सुरक्षित रूप से बाहर निकाल लिया।
प्रारंभिक जांच के बाद मरीज को आपातकालीन कक्ष में रेफर किया गया। उस समय उसकी हालत सामान्य थी। एक्स-रे और अन्य त्वरित इमेजिंग जांचों में यह स्पष्ट हुआ कि उसकी आंत के ऊपरी भाग में एक धातु का चम्मच फंसा हुआ है।
इसके बाद एनेस्थीसिया के तहत आपातकालीन एंडोस्कोपी की गई। चिकित्सकों ने विशेष फोरसेप उपकरण की मदद से चम्मच को सावधानीपूर्वक निकाला। करीब 8 सेंटीमीटर लंबी इस धातु की वस्तु को निकालने के बाद मरीज को 24 घंटे चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया। स्थिति स्थिर रहने पर उन्हें अगले दिन ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
डॉ. गर्ग ने बताया कि यह मामला अत्यंत जटिल और दुर्लभ था। उन्होंने कहा कि यदि कोई धातु की वस्तु, विशेष रूप से चम्मच, आंत में फंस जाए तो यह गंभीर स्वास्थ्य खतरा बन सकती है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि समय पर पहचान और चिकित्सा हस्तक्षेप ऐसे मामलों में बेहद अहम होता है। टीम ने पूरी सावधानी के साथ यह प्रक्रिया अंजाम दी और चम्मच को निकाले जाने के दौरान आंत को कोई क्षति नहीं पहुंची।
इस सफल सर्जरी ने जटिल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल आपात स्थितियों में त्वरित निर्णय और विभिन्न विशेषज्ञ विभागों के आपसी समन्वय की अहम भूमिका को उजागर किया है।