एडीजीपी वाई पूरण कुमार की संदिग्ध आत्महत्या मामले में विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने जांच का दायरा और विस्तार कर दिया है। टीम अब रोहतक पुलिस के कई अधिकारियों से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज कर रही है। इसके साथ ही, एडीजीपी की तैनाती, उनके स्टाफ और उनसे जुड़े मामलों से संबंधित अभिलेखों की भी गहन जांच शुरू की गई है।

सूत्रों के अनुसार, रोहतक पुलिस द्वारा एडीजीपी के गनमैन के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर और उससे जुड़े सभी दस्तावेजों की समीक्षा की जा रही है। एसआईटी इन सभी तथ्यों को जोड़कर यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि आखिर किन परिस्थितियों में एक वरिष्ठ अधिकारी ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया।

आईजी पुष्पेंद्र कुमार के नेतृत्व में एसआईटी ने सेक्टर-9 पुलिस मुख्यालय में देर रात तक उच्चस्तरीय बैठकें कीं। गौरतलब है कि एडीजीपी वाई पूरण कुमार ने सात अक्टूबर को सेक्टर-11 स्थित सरकारी आवास पर खुद को गोली मारकर जान दे दी थी। उनका पोस्टमार्टम 15 अक्टूबर को संपन्न हुआ था।

पत्नी ने मांगी निजी उपकरणों की वापसी
इस बीच, मृतक एडीजीपी की पत्नी और आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने अदालत में अर्जी देकर अपने पति के दो मोबाइल फोन और लैपटॉप वापस करने की मांग की है। उनका कहना है कि इन उपकरणों में निजी और वित्तीय सूचनाएं संग्रहीत हैं तथा मोबाइल उनके बैंक खातों से जुड़े हैं। अदालत ने इस पर चंडीगढ़ पुलिस को नोटिस जारी कर चार नवंबर तक जवाब मांगा है।

फोरेंसिक जांच जारी
पुलिस ने एडीजीपी के दोनों मोबाइल और लैपटॉप को फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) जांच के लिए भेजा है। इसी लैपटॉप में वाई पूरण कुमार द्वारा आठ पन्नों का कथित सुसाइड नोट टाइप किया गया था। जांच इस दिशा में केंद्रित है कि क्या यह नोट वास्तव में उन्होंने ही तैयार किया था और इसे आत्महत्या से कितनी देर पहले ईमेल किया गया था।

सूत्रों के मुताबिक, यदि फोरेंसिक रिपोर्ट अधूरी पाई गई, तो पुलिस अदालत से उपकरणों की वापसी पर रोक लगाने का अनुरोध कर सकती है। वहीं, अगर जांच पूरी हो चुकी है और सभी डेटा सुरक्षित है, तो उपकरण लौटाने पर सहमति भी जताई जा सकती है।