करनाल में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती समारोहपूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अटल जी को पुष्पांजलि अर्पित की और उनके व्यक्तित्व तथा राजनीतिक जीवन पर चर्चा की। कार्यक्रम में कई भाजपा कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे।

मनोहर लाल खट्टर ने सुनाए अटल जी के किस्से
केंद्रीय मंत्री ने साझा किया कि राजस्थान में एक मंच से अटल जी को भाषण देने का अवसर मिला था। मंच संचालक ने उनका स्वागत बड़ी माला से करने की तैयारी की थी, लेकिन अटल जी ने कहा, "माला नहीं चाहिए, मुझे विजय चाहिए।" खट्टर ने आपातकाल के समय का भी जिक्र किया और बताया कि रामलीला मैदान में अटल जी का संबोधन जनता के बीच बेहद लोकप्रिय था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उस समय टीवी पर बॉबी फिल्म दिखाई थी ताकि लोग कम आएं, लेकिन अटल जी के भाषण को सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 'सुशासन दिवस' में लिया हिस्सा

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर आयोजित 'सुशासन दिवस' कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कहा कि इस मौके पर अटल जी की प्रतिमा का अनावरण किया गया और उनकी जीवनियाँ पर आधारित एक कॉफी टेबल बुक का विमोचन हुआ। इसके अलावा, गृह मंत्री अमित शाह ने हरियाणा के 250 से अधिक गांवों में अटल पुस्तकालयों का उद्घाटन किया।

अटल बिहारी वाजपेयी: लोकतंत्र का प्रतीक
अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती 25 दिसंबर को मनाई जाती है। यह दिन सिर्फ एक राजनेता का जन्मदिन नहीं बल्कि भारतीय लोकतंत्र के उन मूल्यों का उत्सव है, जिनमें विचारों की गरिमा, शब्दों की मर्यादा और राष्ट्रहित सर्वोपरि रहे। अटल जी राजनीति के शोर में भी संयमित, स्पष्ट और दूरदर्शी बने रहे।

वे ऐसे नेता थे जिनका व्यक्तित्व सत्ता और दलगत राजनीति से ऊपर था। कुशल वक्ता के रूप में उनकी भाषा में कटुता नहीं, बल्कि तर्क, संवेदना और आत्मविश्वास झलकता था। संसद हो या जनसभा, उनकी वाणी विरोधियों को भी ध्यानपूर्वक सुनने पर मजबूर करती थी। वे जानते थे कि शब्द केवल हथियार नहीं, बल्कि पुल भी बन सकते हैं।