हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन और श्रम मंत्री अनिल विज ने रविवार को विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की बिहार यात्रा इस बात का संकेत है कि विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर भरोसा नहीं है। विज ने कहा कि मतदाता सूची से नाम कटने का मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है और कोर्ट इस पर अंतरिम आदेश भी दे चुका है। ऐसे में विपक्ष को न्यायालय के आदेशों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष की यात्राओं से कोर्ट के फैसले बदले नहीं जा सकते।
विभाजन को लेकर कांग्रेस पर हमला
एनसीईआरटी के मॉड्यूल में माउंटबेटन, जिन्ना और कांग्रेस को देश विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने के सवाल पर विज ने कहा कि यह पूरी तरह सही है। उनका कहना था कि कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता की बात करती है, लेकिन उसी पार्टी ने धर्म के आधार पर बंटवारा कराया, जिसके चलते लाखों लोगों की जान गई और करोड़ों विस्थापित हुए। उन्होंने कहा कि विभाजन के दस्तावेजों पर कांग्रेस नेताओं, जिन्ना और माउंटबेटन के हस्ताक्षर मौजूद हैं, इसलिए जिम्मेदारी भी उन्हीं पर बनती है।
आरएसएस को बताया सबसे बड़ी संस्था
विज ने आगे कहा कि आरएसएस का नाम क्यों नहीं लिया जाना चाहिए। आज यह दुनिया की सबसे बड़ी और देशभक्त संस्था है, जिसने राष्ट्रहित में सबसे ज्यादा काम किया है। प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले से आरएसएस का जिक्र करना स्वाभाविक है। विपक्ष को हार की पीड़ा है, इसी वजह से वह ऐसे मुद्दे उठाकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है।