संजौली क्षेत्र में मस्जिद से जुड़े कथित अवैध निर्माण को लेकर एक बार फिर हिंदू संगठनों का गुस्सा भड़क उठा है। मंगलवार शाम को इन संगठनों ने इलाके में हनुमान चालीसा का पाठ किया और इसके बाद मस्जिद की दिशा में बढ़ने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया।
देवभूमि संघर्ष समिति का कहना है कि वे मस्जिद के पास स्थित गण देवता के स्थल तक जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें वहां पहुंचने नहीं दिया। संगठन ने यह चेतावनी दी है कि यदि शुक्रवार को मस्जिद में नमाज अदा की गई, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे।
संगठन का यह भी कहना है कि मस्जिद के खिलाफ पहले ही तोड़फोड़ का आदेश जारी हो चुका है, लेकिन अब तक बिजली और पानी की आपूर्ति बंद नहीं की गई है। समिति के सह-संयोजक मदन ठाकुर ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाया। उनका कहना है कि वे केवल धार्मिक पाठ कर रहे थे, लेकिन प्रशासन इसे जानबूझकर विवाद का रूप दे रहा है।
उन्होंने बताया कि धार्मिक पाठ के बावजूद उन्हें रोका गया और उनके खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई। संगठन का दावा है कि अगर शुक्रवार को मस्जिद में नमाज होती है तो वे सड़कों पर उतरकर चक्का जाम करेंगे। उनका तर्क है कि जब मस्जिद को अवैध घोषित किया गया है, तो उसमें धार्मिक गतिविधियों पर भी रोक लगनी चाहिए।
इसके साथ ही संगठन ने रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचने वालों की जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि इनमें से अधिकांश एक विशेष समुदाय से आते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में आपराधिक घटनाओं में संलिप्त हैं।
संगठन के सह-संयोजक विजय शर्मा ने भी दोहराया कि गण देवता के स्थान तक जाने से रोका गया और प्रशासन से मस्जिद के कथित अवैध ढांचे को शीघ्र हटाने की मांग की।
मस्जिद विवाद की पृष्ठभूमि
यह विवाद तब गहराया जब शिमला के मैहली क्षेत्र में दो गुटों के बीच झड़प हुई, जिसमें छह मुस्लिम युवकों ने एक स्थानीय व्यक्ति के साथ मारपीट की और बाद में मस्जिद में जाकर छिप गए। इसके बाद 1 और 5 सितंबर 2024 को हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किए। 11 सितंबर को संजौली-ढली क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन ने उग्र रूप ले लिया, जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग और वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा। इससे नाराज होकर संगठनों ने प्रदेशभर में आंदोलन शुरू कर दिए। अब एमसी कोर्ट ने इस प्रकरण पर अंतिम फैसला सुना दिया है।