बागपत जिले के दोघट कस्बे के हर्षित जैन ने जीवन के सुख-संपन्न अवसरों और पारिवारिक वैभव को त्यागकर संयम और आध्यात्मिक मार्ग अपनाने का साहसिक निर्णय लिया है। उनका दीक्षा तिलक समारोह बामनोली गांव स्थित जैन मंदिर में श्रद्धालुओं की उपस्थिति में विधिवत सम्पन्न हुआ।
हर्षित जैन एक प्रतिष्ठित और आर्थिक रूप से संपन्न परिवार से आते हैं। उनके पिता सुरेश जैन दिल्ली में विद्युत उपकरणों के बड़े व्यापारी हैं, जबकि माता सविता जैन गृहिणी हैं। बड़े भाई संयम जैन जैन हॉस्पिटल में डॉक्टर के पद पर तैनात हैं। परिवार की संपन्नता और सामाजिक प्रतिष्ठा के बावजूद हर्षित ने साधु जीवन का मार्ग चुनकर सभी को प्रेरित किया।
शिक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद उज्ज्वल करियर की संभावनाओं के बावजूद हर्षित ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद आध्यात्मिक जीवन अपनाने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में जीवन की अस्थिरता और अनिश्चितता ने उन्हें आध्यात्मिक जागृति दी। हर्षित के अनुसार, “यही वह समय था जब मैंने मोह-माया छोड़कर प्रभु की शरण में जाने का निश्चय किया।"
दीक्षा ग्रहण के बाद हर्षित अब मुनि जीवन की राह पर चल रहे हैं। उनके तिलक समारोह ने जैन समुदाय में नई ऊर्जा और प्रेरणा भर दी है। इस अवसर पर दो और युवा—उत्तराखंड के संभव जैन और हरियाणा के श्रेयस—ने भी दीक्षा ग्रहण की। हर्षित और अन्य युवाओं की इस पहल को जैन समाज में बड़ी आध्यात्मिक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
यह घटना स्थानीय समुदाय और युवा वर्ग के लिए प्रेरणास्रोत बनी है, जो सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर संयम और साधु जीवन की ओर कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।