हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस कांस्टेबलों के लिए हेड कांस्टेबल पद पर पदोन्नति के लिए निर्धारित बी-1 परीक्षा पर रोक लगा दी है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की अदालत ने अश्विनी कुमार द्वारा राज्य और अन्य के खिलाफ दायर याचिका पर यह अंतरिम आदेश सुनाया। अदालत ने प्रतिवादियों को 10 दिन में जवाब देने का निर्देश दिया है, जबकि अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी।
हाईकोर्ट ने कहा कि बी-1 परीक्षा की प्रासंगिकता और पदोन्नति के लिए इसके प्रभाव पर विस्तार से विचार किया जाना आवश्यक है। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि यह परीक्षा पिछले लगभग सात वर्षों में पहली बार आयोजित की जा रही थी, जबकि स्टैंडिंग ऑर्डर के अनुसार इसे हर साल अगस्त में होना चाहिए था। पिछली परीक्षा 2017 में संपन्न हुई थी।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इतने लंबे अंतराल के बाद परीक्षा आयोजित होने से वरिष्ठ और अनुभवी पुलिस कर्मियों को नुकसान होगा। लंबे समय तक ड्यूटी करने वाले अधिकारी अब हाल ही में ग्रेजुएट हुए और सिलेबस से बेहतर परिचित उम्मीदवारों के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगे। याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि बी-1 परीक्षा पास न करने वाले कई कांस्टेबल बिना पदोन्नति के ही रिटायर हो जाते हैं। वहीं, पुलिस विभाग की अन्य विंग्स जैसे बैंड स्टाफ, फिंगरप्रिंट और डॉग स्क्वायड के कर्मचारियों को इस अवधि में 3-4 पदोन्नतियां मिल जाती हैं।
अदालत को बताया गया कि पुलिस विभाग ने 2013 में ही बी-1 टेस्ट को समाप्त कर वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति देने की सिफारिश की थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस विभाग ने परीक्षा रद्द कर दी और सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को इसकी जानकारी दे दी।