ऊना जिले के बाथू क्षेत्र में पुलिस और ड्रग विभाग की संयुक्त टीम ने गुरुवार देर रात एक बंद पड़ी दवा इकाई पर बड़ी कार्रवाई की। बिना लाइसेंस संचालित हो रही इस टाइटन फार्मा यूनिट से लगभग छह लाख रुपये मूल्य की तैयार दवाइयां और कैप्सूल बरामद किए गए। हैरानी की बात यह है कि यह यूनिट करीब 14 वर्ष से बंद घोषित थी, फिर भी चोरी-छिपे उत्पादन जारी था।
गुप्त सूचना के आधार पर विशेष अन्वेषण शाखा के इंचार्ज सुनील कुमार सांख्यान के नेतृत्व में टीम ने परिसर की तलाशी ली। जांच में बड़ी मात्रा में अवैध रूप से तैयार दवाएं मिलीं, जिनमें ऐसीफ्लर-एसपी की 12 हजार गोलियां, सैडलर-बी की 19 हजार गोलियां, ओमिगो-डी के 12 हजार कैप्सूल, मोक्सीगो-सीवी के 150 बॉक्स सहित कई ब्रांड की दवाएं शामिल हैं। इसके अलावा तीन किलो खुली टैबलेट, 15 किलो कैप्सूल और फ्लूकलैन की 500 स्ट्रिप्स भी जब्त की गईं।
दवा निरीक्षक पंकज गौतम ने बताया कि फैक्ट्री का लाइसेंस 2011 में गंभीर खामियां मिलने पर रद्द कर दिया गया था। इसके बाद कभी भी नवीनीकरण नहीं कराया गया, बावजूद इसके लंबे समय से गुप्त तरीके से उत्पादन चलता रहा। बरामद दवाएं सामान्य उपयोग की हैं और इनमें प्रतिबंधित श्रेणी की कोई दवा नहीं पाई गई है। कार्रवाई में दवा निरीक्षक अभिषेक, एएसआई सुरेंद्र कुमार, मुख्य आरक्षी सुनील, आरक्षी अंकुश और महिला आरक्षी वैशाली भी शामिल रहे।
एसपी ऊना अमित यादव ने कहा कि नियमों का उल्लंघन किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है और ऐसी कार्रवाइयां आगे भी जारी रहेंगी। ड्रग विभाग अब जब्त दवाओं के बैच, वैधता और संबंधित दस्तावेजों की जांच करेगा। फैक्ट्री संचालक के खिलाफ ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। इसके साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि दवाओं की आपूर्ति कहां-कहां की जा रही थी और इस नेटवर्क में और कौन लोग जुड़े हैं।
दूसरी फार्मा यूनिट का भी निरीक्षण, बंद मिली
कार्रवाई के दौरान टीम ने कर्मपुर–ललड़ी रोड स्थित रिलीव फार्मा का भी अचानक निरीक्षण किया। यह यूनिट लंबे समय से बंद पाई गई और वहां कोई गतिविधि नहीं मिली।