उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि आतंकवाद से जुड़े होने के कारण अब तक 55 सरकारी कर्मचारियों को निकाल दिया गया है। रविवार को दिल्ली में शिकारा सांस्कृतिक उत्सव के दौरान उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने यह बात कही।
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद आतंक से संबंध रखने वाले कर्मचारियों की पहचान के लिए 2021 में एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया। एलजी ने इस बात पर जोर दिया कि प्रशासन केंद्र शासित प्रदेश में उग्रवाद को समर्थन देने वालों को वित्तीय सहायता देने को तैयार नहीं है।
आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप में लगभग 55 सरकारी कर्मचारियों और श्रमिकों को बर्खास्त कर दिया गया है। उपराज्यपाल ने कहा कि यह कार्रवाई तब तक जारी रहेगी जब तक आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले सभी व्यक्तियों से नहीं निपटा जाता।
इसी साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर बैंक के मुख्य प्रबंधक की सेवाओं को समाप्त कर दिया गया। आतंकवादी पारिस्थितिकी तंत्र के साथ संबंध के आरोप में ये कार्रवाई की गई।
जुलाई में प्रशासन ने संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते कश्मीर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी सहित तीन सरकारी कर्मचारियों को उनके पद से हटा दिया।
इसके साथ ही एक रसायन विज्ञान के प्रोफेसर, हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन का बेटा और जम्मू-कश्मीर के जेल विभाग में एक उपाधीक्षक की भी सेवाएं समाप्त कर दी गईं हैं।