मुझे बीजेपी का सहयोगी बताने वाले शर्म करें: इंजीनियर राशिद

अवामी इत्तेहाद पार्टी के चेयरमैन और बारामूला के सांसद इंजीनियर राशिद ने अपने ऊपर लगे उन आरोपों को सिरे से खारिज किया है, जिसमें कहा कहा गया है कि वो पर्दे के पीछे से बीजेपी के सहयोगी के रूप में काम करते हैं. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि जो लोग उन्हें बीजेपी का सहयोगी बता रहे हैं उन्हे खुद पर शर्म आनी चाहिए.

सांसद का कहना है कि वो खुद को मुख्यधारा का एकमात्र ऐसा नेता मानते हैं, जिसे सत्तारूढ़ पार्टी से उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि वो अकेले ऐसे शख्स हैं जिसे बीजेपी ने प्रताड़ित किया है. राशिद ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को कई महीने तक एसकेआईसीसी में रखा गया था, लेकिन उन्हें तिहाड़ जेल में रखा गया, वो जेल में बंद एकमात्र विधायक थे.

‘कठपुतली हैं महबूबा और उमर’

इंजीनियर राशिद ने सूबे के पूर्व मुख्यमंत्रियों नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की महबूबा मुफ्ती पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि उमर न ही महात्मा गादी बन सके, न ही सुभाष चंद्र. ऐसे ही महबूबा न तो रजिया सुल्तान बन सकीं और न ही म्यांमार की आंग सान सू की. राशिद ने कहा कि वो दोनों ही कठपुतली और रबर स्टाम्प हैं.

370 को निरस्त करने की आलोचना

उन्होंने केंद्र सरकार पर भी हमला बोला. सांसद राशिद ने 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की आलोचना की. उन्होंने दावा किया कि ये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उन पर और हर कश्मीरी पर किए गए अत्याचारों के खिलाफ वोट था. राशिद ने कहा कि आम चुनावों में उनकी चुनावी सफलता मोदी सरकार की नया कश्मीर पहल के खिलाफ जनता की भावनाओं का आईना है.

‘बीजेपी ने लोगों को निराश किया’

इंजीनियर राशिद ने कहा कि सूबे में लोगों की अपने अधिकारों और पहचान के प्रति प्रतिबद्धता मजबूत बनी हुई है, जिससे से साफ हो गया है कि पीएम मोदी का नए कश्मीर का दृष्टिकोण यहां की आवाम को स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करके जम्मू-कश्मीर के लोगों को काफी निराश किया है.

बारामूला से सांसद हैं इंजीनियर राशिद

आतंक वित्तपोषण से संबंधित आरोपों में एनआईए ने साल 2019 में इंजीनियर राशिद को गिरफ्तार किया था. वो दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे. बीते 10 सितंबर को उन्हें अपनी अवामी इत्तेहाद पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने के लिए 2 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत दी गई है. लोकसभा चुनाव में उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री को बारामूला लोकसभा सीट पर 2 लाख से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी.

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