जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की तस्वीर तेजी से बदल रही है। पहले एयरटेल, जियो और बीएसएनएल जैसी बड़ी कंपनियों का ही दबदबा था, लेकिन अब स्थानीय युवा खुद इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) बनकर क्षेत्र में नई पहचान बना रहे हैं।

इन युवाओं ने न केवल इंटरनेट की स्पीड और पहुंच बढ़ाई है, बल्कि ग्रामीण इलाकों तक वाईफाई नेटवर्क पहुंचाकर लोगों की दैनिक जिंदगी आसान कर दी है। कभी नेटवर्क की कमी के लिए चर्चित जम्मू और श्रीनगर अब लोकल आईएसपी के नए केंद्र बन रहे हैं।

श्रीनगर के फहीम हुसैन उन युवा उद्यमियों में शामिल हैं जिन्होंने 2017 में इस क्षेत्र में इंटरनेट सेवा शुरू की। 2019 में उन्होंने सरकारी लाइसेंस हासिल किया और आज उनकी कंपनी श्रीनगर और जम्मू दोनों जगह घरेलू और व्यावसायिक कनेक्शन मुहैया करा रही है। फहीम बताते हैं, “बड़ी कंपनियों की पहुंच सीमित है, जबकि हम स्थानीय हैं इसलिए हर गांव और कस्बे तक आसानी से सेवा दे सकते हैं। ग्रामीण इलाकों में लोग अब लोकल प्रोवाइडर पर भरोसा करने लगे हैं।”

इंटरनेट सेवा देने के लिए भारत सरकार से आईएसपी लाइसेंस लेना जरूरी होता है। यह दूरसंचार विभाग (DoT) जारी करता है। लाइसेंस राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर दिए जाते हैं। कंपनियों को पहले अपनी फर्म रजिस्टर्ड करानी होती है और तय सिक्योरिटी डिपॉजिट जमा करना होता है।

सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्टार्टअप नीति 2024’ के तहत अब स्थानीय उद्यमियों को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि देश के हर कोने में इंटरनेट पहुंचे और लोग पूरी तरह बड़ी कंपनियों पर निर्भर न रहें।

आरएस पुरा के मदन सिंह ने चार साल पहले इंटरनेट सेवा शुरू की। उन्होंने अपने नेटवर्क को अब 20 गांवों तक फैलाया है। मदन बताते हैं, “शुरुआत में कुछ घरों को ही कनेक्शन दिया था, अब हमारी सेवा 400 से अधिक घरों तक पहुंच चुकी है। हमारे प्लान 500 से 1,000 रुपये तक हैं।”

जम्मू के सनम महाजन का कहना है, “हम एक कॉल पर कनेक्शन देते हैं, इसलिए ग्राहक हम पर भरोसा करते हैं। बड़ी कंपनियों के पास संसाधन हैं, लेकिन सेवा तुरंत नहीं मिल पाती। अब हम और अन्य लोकल आईएसपी दर्जनों युवाओं को तकनीकी, इंस्टॉलेशन और सर्विस सपोर्ट से जोड़ रहे हैं।”

लोकल इंटरनेट प्रोवाइडर ने न केवल डिजिटल इंडिया की पहल को मजबूती दी है, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ाए हैं और ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की पहुंच सुनिश्चित की है।