भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का 12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए एक विमान हादसे में निधन हो गया। वह एक निजी यात्रा पर लंदन जा रहे थे और उसी विमान में सवार थे।
विजय रूपाणी भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक अनुभवी और समर्पित कार्यकर्ता रहे। उन्होंने प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ आम जनमानस के बीच एक संवेदनशील और लोकप्रिय नेता के रूप में पहचान बनाई। उन्होंने गुजरात से लेकर राष्ट्रीय राजनीति तक सक्रिय भूमिका निभाई। आइए, उनके राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते हैं।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और आरंभिक जीवन
रूपाणी का जन्म रायंगून (वर्तमान यंगून, म्यांमार) में हुआ था, लेकिन उनकी शिक्षा राजकोट में हुई। उन्होंने विद्यार्थी जीवन में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और आरएसएस से जुड़कर राजनीति में कदम रखा।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
1987 में उन्होंने राजकोट नगर निगम से अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की और 1996–97 में शहर के मेयर बने। इसके बाद 2006 से 2012 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे। 2013 में उन्हें गुजरात म्युनिसिपल फाइनेंस बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया।
राज्य सरकार और मुख्यमंत्री के रूप में योगदान
2014 में उन्हें भाजपा की गुजरात इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और साथ ही वे राज्य सरकार में उप-मंत्री (परिवहन, श्रम और जल आपूर्ति) बनाए गए। अगस्त 2016 में उन्होंने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और दिसंबर 2017 में पुनः इस पद के लिए चुने गए। वे 2016 से 2021 तक पांच वर्षों तक राज्य का नेतृत्व करते रहे।
मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद की भूमिका
2021 में कोविड-19 की चुनौती और आगामी चुनावी रणनीति को देखते हुए रूपाणी ने 11 सितंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद भी वे पार्टी से जुड़े रहे और पंजाब सहित अन्य राज्यों के चुनावी अभियानों में भाग लिया। उन्हें सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त था और उन्हें 'सर्व मित्र' मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाता था।
पारिवारिक जीवन
विजय रूपाणी के परिवार में उनकी पत्नी अंजली और दो संतानें हैं। उनकी बेटी लंदन में निवास करती हैं जबकि बेटा पारिवारिक व्यापार संभालते हैं। उनके छोटे बेटे पुजित का बचपन में ही निधन हो गया था, जिनकी स्मृति में वह 'पुजित रूपाणी मेमोरियल ट्रस्ट' का संचालन करते थे।
शिक्षा और व्यावसायिक जीवन
उन्होंने बीए और एलएलबी की पढ़ाई की थी। इसके बाद पारिवारिक व्यवसाय ‘रासिकलाल एंड संस’ में भागीदारी की और स्टॉक ब्रोकिंग के क्षेत्र में भी काम किया। राजनीति और समाजसेवा में भी उनका योगदान उल्लेखनीय रहा। उन्होंने SAUNI योजना को गति दी, विधवा पेंशन में सुधार किए और कई सरकारी सेवाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने की दिशा में काम किया।