लगभग दो महीने पहले पढ़ाई और नौकरी के लिए रूस गए लुधियाना के 21 वर्षीय समरजीत सिंह अब युद्ध क्षेत्र में फंसे हैं। परिवार का आरोप है कि उसे झूठे बहाने से रूसी सेना में भर्ती कर मोर्चे पर भेज दिया गया। समरजीत के पिता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार से अपील कर रहे हैं कि उनके बेटे को हर हाल में सुरक्षित वापस लाया जाए।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें समरजीत सिंह के साथ पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के कई युवा दिखाई दे रहे हैं। सभी रूसी सेना की वर्दी में हैं और भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें युद्ध क्षेत्र से निकाला जाए। वीडियो में युवाओं ने कहा कि उन्हें धोखे से रूस बुलाकर युद्ध में भेज दिया गया और पर्याप्त भोजन-पानी भी नहीं मिल रहा है।
समरजीत के पिता चरनजीत सिंह ने बताया कि उनका बेटा जुलाई में पढ़ाई और काम के लिए मॉस्को गया था। समरजीत ने 12वीं के बाद एक्स-रे टेक्नीशियन का डिप्लोमा किया और लुधियाना के निजी अस्पतालों में नौकरी की। बेहतर पढ़ाई और काम की तलाश में वह रूस गया, लेकिन वहां उसे हथियार थमाकर सेना में शामिल कर लिया गया।
परिवार के अनुसार समरजीत ने 15 दिन पहले फोन पर बताया कि उसे डॉक्टर के सहायक के रूप में सेना में काम करना होगा। वीडियो कॉल में उसने यूनिफॉर्म पहने दिखाया था। पिता ने उसे पढ़ाई पर ध्यान देने या घर लौटने की सलाह दी, लेकिन उसने घबराने की बात नहीं होने की बात कही। पिछले एक हफ्ते से परिवार उससे संपर्क नहीं कर पा रहा।
गरीब परिवार ने बेटे की पढ़ाई के लिए दस लाख रुपये कर्ज लेकर उसे रूस भेजा था। पिता ने बताया कि अब उनका पूरा भरोसा भारत सरकार पर है। वीडियो में समरजीत के साथ बुटा सिंह भी नजर आए, जो पंजाब का रहने वाला है। कुल नौ युवक फंसे हुए हैं, जिन्हें धोखे से युद्ध में उतारा गया।
विदेश मंत्रालय ने पहले ही चेतावनी दी थी कि रूस में किसी भी लुभावनी नौकरी के झांसे में न आएं। फर्जी एजेंट युवाओं को धोखा देकर सेना में भर्ती करा रहे हैं। मंत्रालय ने कहा कि रूस सरकार के साथ बातचीत चल रही है ताकि भारतीय युवाओं को युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।
समरजीत के परिवार का कहना है कि अब उनकी आखिरी उम्मीद ही भारत सरकार है। उनका भरोसा है कि सरकार हस्तक्षेप करेगी तो उनके बेटे को सुरक्षित घर लाया जा सकेगा।