श्री केसगढ़ साहिब में शनिवार को आयोजित विशेष समारोह में सिख पंथ के आठ महीने से चल रहे विवाद का समाधान हो गया। इस मौके पर जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज्ज को पुनः श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार और श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार के रूप में पंथक रीति-रिवाजों के अनुसार दस्तारबंद किया गया।
समारोह के दौरान पूर्व जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने खुद गड़गज्ज को पगड़ी पहनाई। इस अवसर पर सिख और निहंग जत्थेबंदियों के अलावा कई धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
जत्थेदार गड़गज्ज ने दी एकता की अपील
पुनः ताजपोशी के बाद जत्थेदार गड़गज्ज ने सभी सिख जत्थेबंदियों से अपील की कि वे श्री अकाल तख्त साहिब की छत्रछाया में एकजुट होकर कार्य करें। उन्होंने पंजाब में धर्म परिवर्तन और मोगा में नशे के लिए बच्चों को बेचने की घटनाओं पर चिंता और दुःख व्यक्त किया।
राजनीतिक दबाव के बीच बने समीकरण
सूत्रों के अनुसार, एसजीपीसी अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी और पूर्व जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने राजनीतिक दबाव के चलते गड़गज्ज की नियुक्ति को स्वीकार किया। 10 मार्च को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने गड़गज्ज की दस्तारबंदी की थी, जिसके समय गुरु पंथ और संगत की अनुपस्थिति थी, जिससे कई जत्थेबंदियां नाराज हुई थीं।
सूत्रों के अनुसार, शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने गुप्त रूप से गड़गज्ज को जत्थेदार नियुक्त किया था। बाद में उन्होंने प्रमुख सिख संगठनों से मुलाकात कर गड़गज्ज को स्वीकार करने का आग्रह किया, जिसके बाद दोबारा ताजपोशी समारोह आयोजित किया गया।
इतिहास में पहली बार दोबारा ताजपोशी
यह सिख इतिहास में पहला मौका है जब किसी जत्थेदार की शिरोमणि कमेटी द्वारा दोबारा दस्तारबंदी की गई और संगत से उन्हें स्वीकार करने का अनुरोध किया गया।
समारोह में बाबा बलवीर सिंह, बाबा अवतार सिंह, बाबा जोगा सिंह, बाबा मेजर सिंह सोढ़ी, रंजीत सिंह, संत कर्मजीत सिंह, बाबा सतनाम सिंह, गुरचरण सिंह ग्रेवाल सहित सिख संप्रदायों से जुड़े कई प्रमुख गणमान्य उपस्थित थे।