सुल्तानपुर लोधी। दरिया ब्यास में जलस्तर घटने के बावजूद अब भी तेज बहाव से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। नदी ने अपना रुख बदल लिया है, जिसके चलते पहले जहां खिजरपुर बांध पर कटाव हुआ था, अब अमृतपुर-राजेवाल बांध पर भारी दबाव है। कटाव बढ़ने से आसपास के कई गांवों की हजारों एकड़ फसल खतरे में पड़ गई है।
गांव के सरपंच बलवंत सिंह राजेवाल, मनप्रीत बूह, गुरमीत जोबन, डॉ. लक्की, बगीचा सिंह और बलवीर सिंह ने बताया कि जब दरिया का जलस्तर उफान पर था, तब बांध सुरक्षित था। मगर अब पानी घटने के बाद तेज धारा उसी स्थान पर कटाव कर रही है, जहां 2023 की बाढ़ के दौरान क्षति हुई थी।
ग्रामीणों ने संगत और संतों से बड़ी संख्या में पहुंचकर तटबंध को बचाने की अपील की है। उनका कहना है कि यह मान लेना गलत होगा कि जलस्तर घटने से खतरा टल गया है। बांध को बचाने के लिए मिट्टी, बोरी और पेड़ किनारों पर डालकर सुरक्षा की कोशिश की जा रही है। ग्रामीणों ने यह भी याद दिलाया कि 2023 में जब बांध जलमग्न हुआ था, तब संतों ने इसे बचाने में अहम भूमिका निभाई थी और आज भी उनसे उम्मीदें हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि अब तक प्रशासन का कोई अधिकारी स्थिति का जायजा लेने नहीं पहुंचा। उनका कहना है कि बांध के दूसरी ओर एक स्कूल और कई घर मौजूद हैं, जिन्हें भारी नुकसान हो सकता है।
इस वर्ष दरिया में पानी का बहाव नए रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा, जिसने 1988 की बाढ़ की यादें ताजा कर दीं। लगातार बारिश से लाखों क्यूसेक पानी दरिया में पहुंचा, जिससे कई इलाके डूब गए। हालांकि पिछले कुछ दिनों से जलस्तर में कमी आई है, लेकिन खतरा पूरी तरह टला नहीं है।
इस बीच पंजाब ही नहीं बल्कि देशभर की कई संस्थाएं बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्य चला रही हैं। पीड़ित परिवारों तक खाने-पीने का सामान और जरूरी सामग्री बड़े पैमाने पर पहुंचाई जा रही है।