आम आदमी पार्टी  (आप) ने चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा दिया है। पार्टी ने टिकट आवंटन में अनुभवी व युवाओं को एक साथ तरजीह दी है। सांसद डॉ. राजकुमार के बेटे डॉ. ईशांक चब्बेवाल पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। क्योंकि राजकुमार चब्बेवाल हलका चब्बेवाल से ही वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव में विधायक बने थे। इसके बाद वह कांग्रेस छोड़कर आप में शामिल हो गए थे। लोकसभा चुनाव में उन्होंने होशियारपुर सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुंचे हैं। 

सूबे में आम आदमी पार्टी की सरकार है। इसलिए अब इस सीट पर पार्टी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी ईशांक चब्बेवाल के कंधों पर है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में भी ईशांक ने अपने पिता के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। पिता के पक्ष में जनसभाओं को भी संबोधित किया था। 

इसके बाद बरनाला सीट से पार्टी ने युवा नेता हरिंदर सिंह धालीवाल को चुनाव मैदान में उतारा है। धालीवाल पूर्व कैबिनेट मंत्री व मौजूदा सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर के करीबी हैं। वह विधानसभा व लोकसभा चुनाव में उनके प्रचार के दौरान भी सक्रिय रहे हैं। बरनाला सीट पर प्रत्याशी बनाकर उनको एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई है, क्योंकि इससे पहले वर्ष 2017 व 2022 में मीत हेयर यहां से चुनाव जीतते रहे हैं।

पिता की विरासत संभालने चुनावी अखाड़े में उतरे डॉ. ईशांक
ईशांक अपने पिता की तरह एक रेडियोलॉजिस्ट हैं और चब्बेवाल के विधायक के रूप में अपने पिता की राजनीतिक विरासत को जारी रखने के लिए चुनावी अखाड़े में उतरे हैं। गौरतलब है कि उनके पिता डॉ. राजकुमार साल 2017 में पहली बार कांग्रेस टिकट पर चब्बेवाल से विधायक चुने गए थे और 2022 में वह दूसरी बार कांग्रेस टिकट पर ही चब्बेवाल से विधायक बने थे। गत लोकसभा चुनाव से पहले डॉ. राजकुमार कांग्रेस छोड़ कर आप में शामिल हो गए थे। 31 वर्षीय डॉ. ईशांक एनजीओ कोशिश के साथ जुड़ कर विद्यार्थी के साथ लोगों की मदद करते रहे हैं। ईशांक को अपने पिता के राजनीतिक सफर में उनके साथ काम करने का तजुर्बा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में ईशांक ने डॉ. राजकुमार के चुनावी अभियान प्रभारी के रूप में काम किया और मीडिया प्रबंधन, विभिन्न कैंपेन में आगे रहे।