पंजाब कांग्रेस प्रदेश प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि पंजाब में वर्ष 2022 में कैप्टेन अमरिंदर सिंह ही पार्टी का चेहरा होंगे। इसमें किसी भी तरह का कोई कंफ्यूजन नहीं है। नवजोत सिंह सिद्धू अलग परिवेश के आदमी हैं, उनकी एक अलग शैली है। वे हमेशा एंटी इनकंबेंसी को लेकर मुखर रहे हैं। पहले वे अकालियों पर बरसे। अब अपनी ही सरकार में किसानों के सवालों को लेकर मुखर रहते हैं। ये उनका स्टाइल है।
पार्टी के चेहरे पर रावत ने साफ किया कि इस सवाल को अब बार-बार दोहराया नहीं जाएगा। पार्टी के अंदर जो भी सवाल हैं, उनका हल निकाल लिया जाएगा। जो सवाल उठा रहे हैं, वो खानदानी कांग्रेसी हैं। इसीलिए पार्टी को कोई चिंता नहीं है। उल्टा उन लोगों को ही पार्टी की चिंता है। सीएम बहुत अनुभवी और बड़े दिल के व्यक्ति हैं। यदि कोई बात आलाकमान के स्तर की होगी, तो वो आलाकमान के समक्ष रखी जाएगी। जो मेरे स्तर के समाधान की होगी, उसका अपने स्तर पर समाधान किया जाएगा।
नवजोत सिंह सिद्धू इन तमाम बातों के पीछे हैं, ऐसा किसी ने नहीं कहा है। सिद्धू एक अलग परिवेश से आए हैं। पहले उन्होंने बादलों के काले कारनामों पर सवाल उठाए। कई बातों को देख कर उन्हें पंजाब कांग्रेस का दायित्व सिद्धू को सौंपा गया है। इसका मतलब ये नहीं है कि पूरी कांग्रेस पंजाब में सिद्धू को सौंप दी गई हैं, कई अनुभवी लोग कांग्रेस में हैं।
सलाहकारों को लेकर सख्त रुख
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों की ओर से दिए जा रहे विवादित बयानों पर कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि सलाहकारों के बयान पार्टी की लाइन नहीं है। ये सिद्धू को देखना होगा कि उनके सलाहकार क्या कह रहे हैं। उन्हें ही उन पर नियंत्रण रखना होगा।
हरीश रावत से मिल कर लौटे पंजाब के मंत्री, विधायक
तीन घंटे की लंबी मुलाकात के बाद पंजाब से आए नाराज नेताओं का काफिला पंजाब की ओर कूच कर गया। सभी नाराज नेताओं ने साफ किया कि वो अपने स्टैंड पर खड़े हैं। उनकी बात की पूरी सुनवाई हुई है और आलाकमान से बातचीत का पूरा भरोसा दिया गया है। देहरादून पहुंचे कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पंजाब के लोगों और विधायकों की भावनाओं को लेकर महासचिव से मिलने आए थे। पंजाब के विधायकों ने अपनी बात रखने को हमें मनोनित किया गया है। अपनी बात आलाकमान के समक्ष रखने को हमने बात महासचिव, प्रभारी के समक्ष रखी है। लंबी बात हुई।
वे हमारी बातों से सहमत हैं। जो मसले अभी तक हल नहीं हुए हैं, उनको लेकर आए थे। हमारी बात सुन कर हाईकमान से बात करने का आश्वासन दिया गया है। हम उनका आश्वासन लेकर वापस जा रहे हैं। कांग्रेस में अपनी बात रखने का एक तरीका है। आलाकमान के सामने कोई बात रखनी है, तो उसका एक तरीका है। पहले बात महासचिव के समक्ष रखनी होती है। हम जिस बात को लेकर कल खड़े थे, उस पर आज भी अडिग है। जो वादे चुनाव से पहले किए गए थे, वे पूरे होने चाहिएं। हम सभी मंत्री, विधायक, पार्टी वर्कर का नेतृत्व कर रहे हैं।