मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों में उड़ान होती है। इन लाइनों का मतलब तो आप समझ ही गए होंगे। इस शेर को हकीकत में पंजाब के एक युवक ने अपनी कामयाबी के तौर पर बदल कर दिखाया है।
पंजाब के बरनाला के गांव पंडोरी का युवक इंग्लैंड (ब्रिटेन) की आर्मी में भर्ती हुआ है। गरीब परिवार का बेटा, जिसके सिर से छोटी सी उम्र में ही पिता का साया उठ गया था। लेकिन उसके हौसले नहीं डगमगाए और अपनी मेहनत के दम पर कामयाबी का झंडा बुलंद किया है। बेटे की इस सफलता से बरनाला में रहने वाले परिवार और गांव में खुशी की लहर है। युवक के परिवार वालों को बधाई देने का सिलसिला शुरू भी हो गया।
बरनाला के हलका महलकला के गांव पंडोरी का दविंदर सिंह बोपाराय डेढ़ साल पहले स्टडी वीजा पर इंग्लैंड गया था। वहां पर फौजी की भर्ती शुरू हुई, जिसमें देवेंद्र ने भी अप्लाई किया था। टेस्ट पास करने के बाद उसका सिलेक्शन इंग्लैंड की आर्मी हुआ है।

पिता की 20 साल पहले हो चुकी है मौत
दविंदर सिंह जब 4 साल का था तो उनके पिता बसंत सिंह को बोन कैंसर हो गया था। 20 साल पहले पिता की मौत हो चुकी है। वहीं दविंदर के ताया की भी हादसे में मौत हो चुकी है। घर में दविंदर की मां और उनकी ताई रहते हैं। दोनों महिलाओं ने कड़ी मेहनत के साथ दविंदर सिंह और उसके बड़े भाई हरमनजोत को पढ़ाया लिखाया। दविंदर सिंह का बड़ा भाई हरमनजोत भी विदेश में रहता है। वह अरब कंट्री में नौकरी करता है। आजकल वह गांव पंडोरी आया हुआ है। हरमनजोत सिंह कबड्डी खिलाड़ी भी रह चुके हैं।
वॉलीबॉल का अच्छा खिलाड़ी है दविंदर
हरमनजोत ने बताया कि उनका छोटा भाई दविंदर काफी मेहनती और पढ़ाई लिखाई में पहले से ही होशियार है। दविंदर वॉलीबॉल का अच्छा खिलाड़ी है। दविंदर ने वॉलीबॉल में कई इनाम और ट्रॉफियां जीती हैं। अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के चलते पंजाब में पढ़ाई की। इसके बाद वह स्टडी वीजा पर इंग्लैंड चला गया। इंग्लैंड सेना में भर्ती निकाली, जिसमें देविंदर ने अप्लाई किया और सेना में भर्ती हो गया।

परिवार के पास कुल डेढ़ एकड़ जमीन
दविंदर सिंह की मां और ताई ने बच्चों के पालन पोषण के बारे में बताया कि जब दविंदर की उम्र महज चार साल का था तो उनके पिता की कैंसर से मौत हो गई। उसी समय एक हादसे में दविंदर के ताया की भी मौत हो गई। इसके बाद दोनों देवरानी और जेठानी ने मिलकर परिवार का पालन पोषण किया। इनके पास केवल डेढ़ एकड़ जमीन है और उसी से ही बच्चों को पढ़ाया लिखाया है।
गांव व जिले का नाम किया रोशन
गांव के सरपंच ने परिवार को बधाई देते हुए कहा कि आज इस परिवार के बच्चों की वजह से हमारे गांव ओर जिले का नाम रोशन हुआ है। परिवार ने हमेशा गांव में प्रेम भावना और एकजुटता दिखाई है। गांव के लोग परिवार को पूरा मान सम्मान करते हैं। दविंदर मेहनती है और उसकी मेहनत का नतीजा है कि उसने इंग्लैंड की सेना में भर्ती होकर गांव और परिवार का नाम रोशन किया है।