पंजाब में पराली जलाने के मामलों में पिछले साल की तुलना में करीब 70 फीसदी की कमी आई है। 15 सितंबर से 22 अक्टूबर 2025 तक इस साल केवल 484 मामले दर्ज किए गए, जबकि इसी अवधि में 2024 में 1,581 मामले सामने आए थे।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कमी के पीछे सरकार की कड़ी कार्रवाई और हॉटस्पॉट जिलों में निगरानी बढ़ाना मुख्य कारण हैं। चार हजार अधिकारियों की टीम लगातार किसानों के बीच जाकर पराली जलाने के नुकसान और इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता अभियान चला रही है।
पराली जलाने में कमी का असर राज्य के औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) पर भी दिखाई दे रहा है। अक्टूबर 2024 में अमृतसर का औसत एक्यूआई 133 था, जो इस साल घटकर 96 रह गया। इसी तरह लुधियाना में 121 से 111, मंडी गोबिंदगढ़ में 154 से 130, पटियाला में 125 से 92, जालंधर में 118 से 110 और खन्ना में 116 से 105 दर्ज किया गया।
सबसे अधिक मामले अमृतसर, तरनतारन, रोपड़, मोहाली और गुरदासपुर जिलों में सामने आए हैं। वायु प्रबंधन आयोग ने प्रदेश को पराली जलाने को पूरी तरह रोकने का लक्ष्य दिया था, लेकिन अभी भी घटनाएं जारी हैं। पिछले वर्षों की तुलना में यह कमी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। वर्ष 2023 में पूरे पंजाब में 36,663 पराली जलाने के मामले सामने आए थे, जो 2024 में घटकर 10,909 और इस साल पांच हजार तक रह सकते हैं।
पंजाब में करीब 30.79 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई है, जिसमें से 23.79 लाख हेक्टेयर में गैर-बासमती और 7 लाख हेक्टेयर में बासमती धान की खेती की गई। इससे लगभग 200 लाख टन धान की पराली उत्पन्न होती है, जिसका निपटारा करना सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है।
हॉटस्पॉट जिलों की बात करें तो आठ जिले शामिल हैं। पिछली बार फिरोजपुर में 1,342, तरनतारन 876, संगरूर 1,725, बठिंडा 750, मोगा 691, बरनाला 262, मानसा 618 और फरीदकोट में 551 मामले दर्ज किए गए थे।
वायु गुणवत्ता अभी भी चिंता का विषय है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार मंडी गोबिंदगढ़ का एक्यूआई 266, लुधियाना 235, जालंधर 225, रोपड़ 190, अमृतसर 186, खन्ना 138 और पटियाला 119 है। केवल बठिंडा का एक्यूआई 73 दर्ज किया गया, जिसे संतोषजनक माना गया है।
पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. हर्ष नायर ने कहा कि किसानों में पहले से जागरूकता बढ़ी है। अब उन्हें जमीनी स्तर पर जाकर पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहित करना और उनकी समस्याओं को दूर करना ही बेहतर नतीजे दिला सकता है।