पठानकोट के नरोट मेहरा क्षेत्र में सोमवार को एक दर्दनाक सड़क हादसे में मोटरसाइकिल सवार युवक की मौत हो गई। मृतक की पहचान 20 वर्षीय अंकुश डोगरा, पुत्र नागर चंद, निवासी बजरी कंपनी वार्ड नंबर 33 के रूप में हुई है। घटना के बाद क्षेत्र में शोक का माहौल व्याप्त हो गया।

परिजनों ने इस हादसे के लिए पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक्क के काफिले को जिम्मेदार ठहराया है। गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने पठानकोट-अमृतसर राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरना देकर मंत्री और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इससे कई घंटे तक यातायात बाधित रहा। मौके पर पुलिस बल भी पहुंचा और प्रदर्शनकारियों से धरना खत्म करने की अपील करता रहा।

कॉलेज जाते समय हुआ हादसा

परिजनों ने बताया कि अंकुश सोमवार सुबह कोटली स्थित कॉलेज के लिए घर से निकला था। जैसे ही वह नरोट मेहरा पुली के पास पहुंचा, तो प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि मंत्री के काफिले ने तेज़ी से ओवरटेक करते हुए युवक की मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। आरोप है कि हादसे के बाद मंत्री का काफिला बिना रुके वहां से चला गया।

परिजनों ने पुलिस से घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज दिखाने की मांग की, लेकिन उन्हें कोई रिकॉर्डिंग नहीं दिखाई गई। परिवार का कहना है कि हादसे के लिए मंत्री का काफिला ही ज़िम्मेदार है और सीसीटीवी में छेड़छाड़ किए जाने का भी संदेह जताया गया है।

ट्रक चालक को हिरासत में लेने पर उठे सवाल

मृतक के परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने एक ट्रक चालक को हिरासत में ले लिया है, जबकि वह निर्दोष है। पुलिस का कहना है कि युवक की मौत मंत्री के काफिले से नहीं, बल्कि ट्रक की चपेट में आने से हुई है। परिजनों का आरोप है कि असली दोषियों को बचाने के लिए पुलिस निर्दोष ट्रक चालक पर कार्रवाई कर रही है।

पुलिस का पक्ष

एसपी मनोज ठाकुर और थाना सदर प्रभारी हेमराज ने बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि जिस समय दुर्घटना हुई, उस समय मंत्री का काफिला पहले ही घटनास्थल से निकल चुका था। पुलिस के अनुसार, युवक की मौत ट्रक से टकराने के कारण हुई है और मामले में आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा रही है। शव का पोस्टमार्टम सिविल अस्पताल पठानकोट में कराया जा रहा है।

परिवार ने जारी रखा विरोध प्रदर्शन

परिजनों का कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता, वे विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि अगर मंत्री का काफिला घटनास्थल से गुजर चुका था, तो उन्हें हादसे की जानकारी कैसे मिली और अगर उन्होंने घटना होते देखी, तो रुक कर मदद क्यों नहीं की?