पंजाब विधानसभा में शुक्रवार को चंडीगढ़ को तुरंत पंजाब को देने का प्रस्ताव पास हो गया। इस दौरान कांग्रेस, अकाली दल और बसपा ने इसका समर्थन किया। वहीं भाजपा ने इसका विरोध करते हुए मान सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए। प्रस्ताव पास होने के बाद CM भगवंत मान ने कहा कि पंजाब को बचाने के लिए वह संसद के अंदर-बाहर और सड़कों पर लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं।

इस बारे में वह जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से समय लेंगे। जिसके बाद उनसे मुलाकात करेंगे। यह विवाद चंडीगढ़ में कर्मचारियों पर केंद्रीय नियम लागू किए जाने के बाद शुरू हुआ।

सदन में प्रस्ताव की चर्चा के अंत में जब सीएम भगवंत मान बोलने लगे तो सुल्तानपुर लोधी से निर्दलीय विधायक राणा इंदरप्रताप ने बोलना शुरू कर दिया। वह प्रस्ताव के उलट किसी हाइवे का मुद्दा उठा रहे थे। इसे देखते हुए स्पीकर कुलतार सधवां ने विधायक को बाहर निकाल दिया।

भाजपा विधायक अश्विनी शर्मा ने कहा कि मुझे CM के प्रस्ताव की मंशा पर शक है। मैं इसका विरोध करता हूं। उन्होंने कहा कि पंजाब के भीतर एक रिवायत चलती आ रही है कि अपनी नाकामी छुपाने के लिए पंजाब की जनता को गुमराह किया जाता है। यह प्रस्ताव भी उसी कड़ी का हिस्सा है। शर्मा ने पूछा कि पहले चंडीगढ़ में सेंट्रल रूल्स लागू थे। उस वक्त पंजाब के स्केल बढ़े तो उनकी मांग पर यह नियम लागू कर दिए गए।
उन्होंने कहा कि इस बारे में सोचना चाहिए कि चंडीगढ़ के कर्मचारियों को इसकी जरूरत क्यों पड़ी। इस दौरान स्पीकर ने शर्मा को टोका कि उनका 2 मिनट का समय था, लेकिन वह 4 मिनट बोल चुके हैं। स्पीकर ने कांग्रेसी विधायक परगट सिंह को बोलने के लिए कह दिया।