समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग करने वाले तीन विधायकों—पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोज पांडेय, अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह—को निष्कासित करने का निर्णय इसीलिए लिया, ताकि उनके मंत्री बनने में तकनीकी अड़चनों को दूर किया जा सके। मंगलवार को मीडिया से बातचीत में अखिलेश ने इस फैसले को तंज के साथ जोड़ा और कहा कि जैसे ही इन्हें मंत्री बनाया जाएगा, बाकी बागियों को भी रास्ता देने का काम पार्टी खुद कर देगी।
उन्होंने कहा कि भाजपा की तरफ से विधायकों को यह आश्वासन दिया गया था कि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन सपा की सदस्यता के चलते इसमें तकनीकी बाधा थी। अब जब उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया है, तो यह अड़चन भी समाप्त हो गई है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “जिसके नाम के साथ पैकेज जुड़ा हो, उसकी क्षमता सबको मालूम है।”
बचे हुए बागियों पर अभी नहीं हुई कार्रवाई
सपा ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले सात विधायकों में से केवल तीन को निष्कासित किया है। शेष चार—राकेश पांडेय, विनोद चतुर्वेदी, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य—के खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पार्टी का कहना है कि इनके व्यवहार को देखते हुए समय आने पर फैसला लिया जाएगा।
सामाजिक संदेश देने की तैयारी
पार्टी से जुड़े सूत्रों का मानना है कि जिन विधायकों पर फिलहाल कार्रवाई नहीं की गई है, उनके मामलों को संबंधित जातीय समुदायों के बीच रखकर सामाजिक संतुलन साधने की कोशिश की जाएगी। सपा यह संदेश देना चाहती है कि संकट के समय भले ही इन नेताओं ने पार्टी को धोखा दिया, लेकिन पार्टी ने उदारता दिखाते हुए उन्हें तत्काल बाहर नहीं किया।
ऊंचाहार उपचुनाव के लिए सपा की तैयारी
यदि मनोज पांडेय विधायक पद से इस्तीफा देते हैं, तो ऊंचाहार सीट पर उपचुनाव होगा। सपा ने संकेत दिया है कि वह इस उपचुनाव में पूरी ताकत से उतरने की तैयारी में है। सपा नेताओं का कहना है कि जैसे 2022 में दारा सिंह चौहान ने घोसी सीट से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होकर उपचुनाव लड़ा था और पार्टी ने दोबारा यह सीट जीत ली थी, वैसे ही ऊंचाहार में भी पार्टी जनता का समर्थन हासिल करेगी।
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