लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चकबंदी विभाग ने 17 जिलों के 25 गांवों में वर्षों से लंबित चकबंदी कार्यों को पूरा कराकर उप्र जोत चकबंदी अधिनियम के तहत सभी औपचारिकताएं पूरी करने में सफलता हासिल की है।

चकबंदी आयुक्त डॉ. हृषिकेश भास्कर याशोद ने बताया कि बस्ती, संतकबीरनगर, देवरिया, कानपुर नगर, प्रयागराज, उन्नाव, मऊ, आजमगढ़, लखीमपुर खीरी, कन्नौज, प्रतापगढ़, फतेहपुर, बरेली, मीरजापुर, सीतापुर, सुलतानपुर और सोनभद्र के 25 गांवों में यह कार्य पूरा कराया गया। जिलों के डीएम द्वारा भेजे गए प्रस्तावों पर चकबंदी कार्य पूर्ण करने की स्वीकृति दी गई।

आजमगढ़ के गांव उबारपुर लखमीपुर में 30 दिसंबर 1967 को चकबंदी प्रक्रिया गजट की गई थी, लेकिन अभिलेख गायब होने के कारण यह लंबित रह गई थी। इस मामले में एफआइआर भी दर्ज कराई गई थी। लगभग 58 वर्षों तक यह प्रक्रिया अटकी रही। इसी जिले के ग्राम गहजी में 8 मई 1972 को चकबंदी प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन गांव में पक्षों के बीच विवाद के कारण इसमें गतिरोध बना रहा। वर्ष 2016 में एक पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाद दायर किया था, जिसके स्थगन की अवधि 2019 में समाप्त हुई।

चकबंदी आयुक्त ने दोनों गांवों की स्थिति की गहन समीक्षा की और डीएम व विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्रामीणों के बीच सामंजस्य स्थापित किया जाए। अधिकारियों ने नया अभिलेख तैयार कराकर चकबंदी प्रक्रिया को पूरी तरह समाप्त कराया।