राज्य उपभोक्ता आयोग में न्यायिक व्यवस्था चरमरा गई है। गोमतीनगर स्थित आयोग की पांच में से फिलहाल केवल एक ही कोर्ट कार्यरत है, जबकि शेष चार कोर्ट बंद पड़े हैं। इसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है और करीब 15 हजार से अधिक मामले लंबित हो गए हैं।
नियमों के अनुसार प्रत्येक कोर्ट में एक न्यायमूर्ति और एक सदस्य की नियुक्ति अनिवार्य होती है, तभी पीठ सुनवाई कर सकती है। समय के साथ न्यायमूर्ति और सदस्यों के सेवानिवृत्त होने से एक-एक कर कोर्ट बंद होते चले गए। वर्तमान में आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव और सदस्य सुधा उपाध्याय की एकमात्र पीठ ही मामलों की सुनवाई कर रही है। इस स्थिति में प्रतिदिन लगभग 100 से 125 मामलों की ही सुनवाई संभव हो पा रही है, जबकि लंबित मामलों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है।
महीनों बाद मिल रही सुनवाई की तारीख
राज्य उपभोक्ता आयोग में प्रदेश भर से अपीलें दाखिल की जाती हैं। जिला उपभोक्ता आयोग के फैसलों से असंतुष्ट पक्ष यहां गुहार लगाते हैं। लेकिन केवल एक कोर्ट के संचालन के कारण अधिकांश मामलों में अगली सुनवाई की तारीखें दस-दस महीने बाद दी जा रही हैं। इससे न्याय की उम्मीद लेकर आने वाले लोगों को वर्षों तक इंतजार करना पड़ रहा है।
पिछले महीनों में बढ़ी परेशानी
आयोग में पहले दो कोर्ट बंद हुए थे, लेकिन तब भी तीन कोर्ट कार्यरत थे, जिससे मामलों का निपटारा अपेक्षाकृत तेजी से हो रहा था। बीते सात से आठ महीनों में शेष तीन में से दो कोर्ट भी बंद हो गए। इसका कारण न्यायमूर्ति का सेवानिवृत्त होना और सदस्यों का कार्यकाल पूरा होना बताया जा रहा है। इसके बाद से आयोग में मामलों के निस्तारण की गति और धीमी हो गई है, जिससे उपभोक्ताओं की परेशानियां लगातार बढ़ रही हैं।