मथुरा। यमुना एक्सप्रेस वे पर हाल ही में हुए भीषण सड़क हादसे ने यात्रियों में खौफ पैदा कर दिया है। इसके चलते दिल्ली और नोएडा के लिए चलने वाली बसों में सवारियों की संख्या में 30 से 35 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। यात्रियों का कहना है कि एक्सप्रेस वे पर हादसे वाली जगह पर वाहन रुक जाते हैं और जली हुई बसों का दृश्य देखकर वे सिहर जाते हैं।
यात्री हादसे का बार-बार जिक्र करते हुए पूरी यात्रा में भय महसूस कर रहे हैं। इसी कारण मथुरा डिपो ने यमुना एक्सप्रेस वे पर चलने वाली आठ बसों को घटा दिया है। मथुरा, आगरा और आसपास के क्षेत्रों से नोएडा के लिए रोजाना बड़ी संख्या में लोग सफर करते हैं, लेकिन हादसे के बाद अब लोग एक्सप्रेस वे से यात्रा करने में हिचकिचा रहे हैं। विशेषकर सुबह और देर रात चलने वाली बसों में सवारियों की संख्या न्यूनतम रह गई है।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) के एआरएम मदन मोहन शर्मा ने बताया कि हादसे के बाद रोजाना करीब 3.5 लाख रुपये की आमदनी घट गई है। इसके अलावा, घने कोहरे के कारण रात की बस सेवाओं को भी स्थगित कर दिया गया है।
यमुना एक्सप्रेस वे पर हादसों का आंकड़ा
2012 से 2023 तक एक्सप्रेस वे पर केवल घने कोहरे के कारण 338 सड़क हादसे हुए हैं। इनमें 75 लोगों की मौत हुई और 665 से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए। वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन का कहना है कि शीतकाल में घने कोहरे के कारण एक्सप्रेस वे पर हादसों का जोखिम अब सामान्य और चिंता का विषय बन गया है।
यात्रा अब जोखिम भरी लगने लगी
समाजसेवी नरेश पारस ने कहा कि हादसे के बाद एक्सप्रेस वे पर सफर करना डरावना हो गया है। आईएसबीटी आगरा से दिल्ली जाने वाली बस में केवल छह यात्री सवार थे। हादसे वाले माइलस्टोन 127 पर पहुंचते ही चालक ने बस को रोक लिया। घना कोहरा, तेज रफ्तार और भारी वाहनों की आवाजाही ने यात्रियों का डर और बढ़ा दिया है।
यात्रियों की संख्या में लगातार गिरावट के कारण न केवल निगम की आय प्रभावित हो रही है, बल्कि एक्सप्रेस वे पर यात्रियों की सुरक्षा और राहत की मांग भी बढ़ रही है।