गाजियाबाद के ट्रॉनिका सिटी में पुलिस ने एक साल के मासूम के अपहरण मामले का खुलासा करते हुए बच्चा तस्करी करने वाले गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया। यह गिरोह गाजियाबाद, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और नेपाल तक फैला हुआ है। इसमें निजी अस्पतालों के डॉक्टर, नर्स, आशा वर्कर और मैरिज ब्यूरो संचालक शामिल हैं, जो बच्चों की प्रोफाइल तैयार कर सोशल मीडिया पर कोडवर्ड के जरिए सौदा करते थे।
घटना 4 अगस्त की है, जब पूजा कॉलोनी में रहने वाले राशिद के एक वर्षीय बेटे फारिस का अपहरण कर लिया गया। पुलिस ने चार घंटे के भीतर बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया। सीसीटीवी फुटेज में अपहरणकर्ता बच्चे को छोड़कर भागते नजर आए, जिसके आधार पर लोनी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से चार आरोपियों – नावेद, अफसर अली, स्वाति उर्फ साइस्ता और संध्या – को गिरफ्तार किया गया। जांच में पता चला कि बच्चे को मुरादाबाद में डेढ़ लाख रुपये में बेचने की योजना थी।
पुलिस के अनुसार, मीट की दुकान बंद होने से पैसों की तंगी झेल रहे अफसर अली ने पड़ोसी के बच्चे के अपहरण की साजिश रची। इस काम के लिए उसने नावेद को साथ लिया और स्वाति व संध्या से संपर्क किया, जो निसंतान दंपतियों को बच्चे बेचने का धंधा करती थीं। पहले बच्चे का फोटो व्हाट्सएप पर भेजा गया, फिर सौदा तय किया गया। मुरादाबाद के एक निजी अस्पताल की नर्स के जरिए सौदा 2.5 लाख रुपये में हुआ, लेकिन खरीदार की मांग पर इसे टाल दिया गया। बाद में अमरोहा के एक दंपति से 1.5 लाख रुपये में सौदा पक्का हुआ, मगर इससे पहले ही पुलिस ने आरोपियों को पकड़ लिया।
पुलिस की जांच में सामने आया कि यह गिरोह बच्चों के सौदे 50 हजार से 3 लाख रुपये तक करता था। गोरे बच्चों की कीमत अधिक होती थी, जबकि सांवले बच्चों का रेट कम तय किया जाता था। अपहरण के बाद पहचान छिपाने के लिए आरोपी अपने बाल और कपड़े बदल लेते थे।
अधिकारियों के मुताबिक, इस गिरोह का नेटवर्क दिल्ली, बिजनौर, मुरादाबाद, रुड़की, अमरोहा, जम्मू-कश्मीर और नेपाल तक फैला है। पुलिस अब इस रैकेट से जुड़े अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है।