राजधानी लखनऊ की जीवन रेखा मानी जाने वाली गोमती नदी के किनारे बनने वाले 57 किलोमीटर लंबे ग्रीन कारिडोर का निर्माण अब पूरी तरह पूरा होने वाला है। आइआइएम रोड से किसान पथ तक यह मार्ग शहर के नए शहरी परिदृश्य का रूप लेगा, जहां विकास और आधुनिक निर्माण की संभावनाएँ खुल जाएंगी।

निशातगंज और हनुमान सेतु के आसपास जैसी घनी आबादी और भवनों की भरमार है, उसी तरह अब ग्रीन कारिडोर के किनारे नया शहरी विस्तार दिखाई देगा। पहले लखनऊ महायोजना 2031 में गोमती तट पर 200 मीटर की सुरक्षा सीमा के कारण कोई भी निर्माण नहीं हो सकता था। इस वजह से कई लोगों के आवासीय और व्यावसायिक नक्शे स्वीकृत नहीं हो पाए।

अब एलडीए ने ग्रीन कारिडोर को नदी की नई सीमा रेखा के रूप में मान्यता दी है, जिससे किसान पथ से शहीद पथ, सेना की जमीन और सुलतानपुर रोड के आसपास लगभग 10 किलोमीटर क्षेत्र में निर्माण की अनुमति मिल सकेगी। नक्शों की स्वीकृति भी अब आसानी से दी जाएगी।

एलडीए ने गोमती किनारे पुलिस मुख्यालय के पास करीब 45 एकड़ भूमि को खोजा था, जहां पहले सुरक्षा क्षेत्र के कारण आवासीय योजना आगे नहीं बढ़ पाई थी। अब ग्रीन कारिडोर को सीमा मानते हुए यह योजना जल्द ही प्रस्तावित की जाएगी। संभावना है कि पांच दिसंबर को होने वाली एलडीए बोर्ड बैठक में इसे मंजूरी मिले।

प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन पी. गुरुप्रसाद ने उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम 1973 की धारा 13(2) का प्रयोग कर ग्रीन कारिडोर को नई सीमा रेखा घोषित किया। एलडीए के मुख्य नगर नियोजक केके गौतम ने बताया कि इस निर्णय के बाद कारिडोर किनारे उच्च स्तरीय आवासीय और व्यावसायिक विकास संभव होगा, और गगनचुंबी इमारतों का निर्माण भी किया जा सकेगा।