उत्तर प्रदेश के संभल की डेमोग्राफी और 2024 के दंगों की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है। आयोग के सदस्य पूर्व डीजीपी एके जैन ने बताया कि यह रिपोर्ट पूरी तरह गोपनीय है।
संभल में 24 नवंबर 2024 को मस्जिद सर्वे के दौरान हिंसा भड़की थी, जिसके बाद न्यायिक आयोग का गठन किया गया था। आयोग में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा, रिटायर्ड IAS अमित मोहन और रिटायर्ड IPS अरविंद कुमार जैन शामिल थे।
रिपोर्ट में प्रमुख बिंदु:
- दंगों में विदेशी हथियार, विशेषकर मेड इन USA हथियार पाए गए।
- रिपोर्ट में लव जिहाद, दंगे और धर्मांतरण जैसी घटनाओं का भी उल्लेख है।
- संभल की पठान तुर्क आबादी में पुरानी रंजिश के कारण दंगे भड़कने की योजना थी। हिंदू मोहल्लों में पुलिस की मौजूदगी से बड़े नुकसान से बचाव हुआ।
- 1947 के बाद से हर बड़े दंगे में हिंदू समुदाय पर हमला होने की बात रिपोर्ट में कही गई।
स्थानीय प्रतिक्रिया:
- VHP के विनोद बंसल ने कहा कि हिंदुओं को बार-बार निशाना बनाया गया और यही कारण है कि कई परिवार पलायन करने को मजबूर हुए।
- मौलाना साज़िद रशीदी ने रिपोर्ट को पक्षपाती बताते हुए इसे दंगा और नफरत भड़काने वाला बताया।
हिंसा के आंकड़े:
- इस हिंसा में कम से कम 5 लोगों की जान गई थी।
- विवादास्पद मस्जिद सर्वेक्षण का आदेश 19 नवंबर को एक स्थानीय अदालत ने दिया था। पहला सर्वेक्षण उसी दिन हुआ, जबकि 24 नवंबर को दूसरा सर्वेक्षण हिंसा का कारण बना।
संभल की यह रिपोर्ट अब गोपनीय रखी जाएगी, लेकिन इसके निष्कर्षों ने क्षेत्र की सामाजिक और धार्मिक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।