देहरादून। उत्तराखंड सरकार 1 जनवरी से राज्य में बाहर से आने वाले निजी वाहनों पर ‘ग्रीन सेस’ लागू करने जा रही है। इस कदम का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और सड़क सुरक्षा गतिविधियों के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा योजना में देरी पर नाराजगी जताए जाने के बाद परिवहन विभाग ने प्रक्रिया तेज कर आवश्यक सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया है। फिलहाल इसका परीक्षण चल रहा है।

निजी वाहनों को भी ग्रीन सेस के दायरे में लाया गया
अब तक केवल वाणिज्यिक वाहनों पर ही यह सेस वसूला जाता था। नई व्यवस्था के तहत निजी वाहन भी इसके दायरे में आएंगे। इससे प्राप्त राशि का उपयोग सड़क सुरक्षा उपायों और वृक्षारोपण अभियानों में किया जाएगा। इसके संचालन के लिए परिवहन विभाग ने एक निजी एजेंसी के साथ समझौता किया है।

ANPR कैमरा और FASTag से होगी वसूली
राज्य की सीमाओं पर लगे 15 ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरों की मदद से बाहर से आने वाले वाहनों की पहचान की जाएगी। कैमरे वाहन के रजिस्ट्रेशन नंबर पढ़कर तय करेंगे कि वाहन राज्य के बाहर का है या नहीं। इसके बाद टोल टैक्स की तरह ग्रीन सेस FASTag खाते से स्वतः कट जाएगा। यह शुल्क 24 घंटे के लिए मान्य होगा।

छूट प्राप्त वाहन
परिवहन विभाग ने कुछ श्रेणियों के वाहनों को इस सेस से छूट देने का प्रस्ताव रखा है। इसमें दोपहिया, तिपहिया, इलेक्ट्रिक और सीएनजी वाहन शामिल हैं। इसके अलावा सरकारी वाहन, फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस सेवाओं को भी छूट दी जाएगी, ताकि आपात और आवश्यक सेवाओं पर कोई असर न पड़े।

शुल्क दरें और पास की सुविधा
लाइट मोटर व्हीकल्स जैसे कार और हल्के मालवाहक वाहनों से 80 रुपये, 12 सीटों वाली बसों से 140 रुपये और सात एक्सल वाले भारी वाहनों से 700 रुपये शुल्क लिया जाएगा। बार-बार उत्तराखंड आने वाले वाहनों के लिए पास सिस्टम भी तैयार किया गया है। 20 दिनों के सेस के बराबर भुगतान करने पर तीन महीने का पास मिलेगा, जबकि 60 दिनों के बराबर भुगतान पर एक साल का वैध पास मिलेगा।

सरकार का मानना है कि इस नई व्यवस्था से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि राज्य में प्रवेश करने वाले वाहनों पर बेहतर निगरानी भी सुनिश्चित होगी।