कोलकाता: संसद में वंदे मातरम को लेकर चल रही तीखी बहस के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर जोरदार निशाना साधा है। कोलकाता में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने भाजपा से पूछा कि अगर पार्टी नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवींद्रनाथ टैगोर और राजा राम मोहन राय जैसे स्वतंत्रता सेनानियों और विचारकों का सम्मान नहीं करती, तो फिर किसे करती है।

ममता ने कहा, “मैंने सुना कि कुछ भाजपा नेता नेताजी की सराहना नहीं करते। तो बताइए, अगर आप नेताजी, टैगोर और राजाराम मोहन राय का सम्मान नहीं करते, तो किसे देते हैं?”

भगवद्गीता पाठ में अनुपस्थिति का कारण
ममता बनर्जी ने कोलकाता में भगवद्गीता पाठ कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने की वजह बताई। उनका कहना था कि यह कार्यक्रम भाजपा से जुड़ा था। उन्होंने कहा, “अगर यह आयोजन निष्पक्ष होता, तो मैं अवश्य शामिल होती। मैं हर धर्म और समुदाय का सम्मान करती हूं, लेकिन जब कार्यक्रम किसी राजनीतिक दल से जुड़ा हो, तो मैं उसमें कैसे शामिल हो सकती हूं। मैं ऐसे आयोजनों में नहीं जाती जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस का अपमान हो या महात्मा गांधी के सिद्धांतों का उल्लंघन किया जाए।”

संसद में भी गरमाया माहौल
लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाई, जबकि पीएम मोदी हर चर्चा में नेहरू और कांग्रेस का नाम बार-बार लेते रहते हैं। गोगोई ने कहा कि देश की वास्तविक समस्याओं—सुरक्षा, आतंकी घटनाओं और प्रदूषण—पर सरकार चुप है।

PM मोदी ने बताया वंदे मातरम का महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वंदे मातरम ने स्वतंत्रता संग्राम में देश को साहस और ऊर्जा दी। उन्होंने इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत की आधुनिक अभिव्यक्ति बताया। पीएम ने कहा, “वंदे मातरम सिर्फ राजनीतिक नारा नहीं था, यह हमारी संस्कृति और मातृभूमि के प्रति भाव का आधुनिक स्वरूप है। 1905 के बंगाल विभाजन के समय अंग्रेजों की ‘डिवाइड एंड रूल’ नीति के बावजूद यह गीत अडिग रहा।”