मोनाड यूनिवर्सिटी में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियां मिलने और 11 लोगों की गिरफ्तारी के बाद शासन ने पूरे मामले पर गंभीरता से संज्ञान लिया है। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजकर विश्वविद्यालय की मान्यता और पंजीकरण को रद्द करने की सिफारिश की है। इस घटनाक्रम के बाद अब शासन स्तर से सख्त कार्रवाई की तैयारी है।

शनिवार को लखनऊ एसटीएफ की टीम ने विश्वविद्यालय परिसर में छापा मारकर विभिन्न पाठ्यक्रमों की 1421 फर्जी डिग्रियां, मार्कशीट्स, प्रोविजनल सर्टिफिकेट और माइग्रेशन दस्तावेज बरामद किए। इसके अलावा बड़ी संख्या में खाली मार्कशीट्स भी जब्त की गईं। जांच में विश्वविद्यालय के चेयरमैन विजेंद्र सिंह सहित कुल 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।

अन्य राज्यों में भी जांच का दायरा बढ़ा

एसटीएफ अब उन राज्यों में भी जांच कर रही है, जहां इन फर्जी डिग्रियों की बिक्री हुई थी। संभावना है कि इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की भी जल्द गिरफ्तारी हो सकती है। मंगलवार को डीएम अभिषेक पांडेय और एसपी ज्ञानंजय सिंह ने सीओ पिलखुवा की रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय की मान्यता निरस्त करने की औपचारिक सिफारिश उच्च शिक्षा विभाग को भेज दी है। अधिकारियों का मानना है कि इस कदम से भविष्य में छात्रों के साथ किसी भी प्रकार का धोखा नहीं होने दिया जाएगा।

छात्रों और स्टाफ का भविष्य अधर में

मोनाड यूनिवर्सिटी में वर्तमान समय में छह हजार से अधिक छात्र-छात्राएं विभिन्न कोर्सों में नामांकित हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय की मान्यता रद्द होने की प्रक्रिया से छात्रों में चिंता बढ़ गई है। उनके कोर्स और डिग्री को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बन गई है। साथ ही, शिक्षण और प्रशासनिक स्टाफ का भविष्य भी संकट में आ गया है।

डीएम अभिषेक पांडेय ने बताया कि वर्तमान छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए शासन स्तर से वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। विश्वविद्यालय पर सख्त कार्रवाई के साथ-साथ छात्रों के हितों को सुरक्षित रखना भी प्रशासन की प्राथमिकता है।