भारतीय शेयर बाजार ने पिछले पांच वर्षों में निवेशकों को सालाना 18% से अधिक का प्रभावशाली रिटर्न देकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सशक्त मौजूदगी दर्ज कराई है। बंधन म्यूचुअल फंड की जून 2025 की मासिक मार्केट आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय शेयरों ने अमेरिकी डॉलर के आधार पर विकसित और उभरते बाजारों को पीछे छोड़ दिया है। वैश्विक और विकसित बाजारों ने जहाँ इस अवधि में 12% और इमर्जिंग मार्केट्स ने 4% का रिटर्न दिया, वहीं भारत ने इससे कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है।

स्मॉल-कैप ने दिखाई दमदार चाल

रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2020 की महामारी के बाद से लेकर मई 2025 तक, विशेष रूप से स्मॉल-कैप शेयरों ने निवेशकों को आकर्षक रिटर्न दिए हैं। बीते तीन महीनों की बात करें तो, भारतीय इक्विटी ने 16% का लाभ दिया, जबकि इसी अवधि में उभरते बाजारों में केवल 5% और वैश्विक बाजारों में 2% की वृद्धि देखी गई। इसके विपरीत, चीन के बाजार में मई 2025 में करीब 2% की गिरावट दर्ज की गई।

रिटर्न के पीछे क्या कारण हैं?

बंधन म्यूचुअल फंड के विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रदर्शन भारत की सुदृढ़ आर्थिक नीतियों, निवेशकों के बढ़ते भरोसे और स्मॉल-कैप कंपनियों की नवाचार क्षमता का परिणाम है। हालांकि, वैश्विक व्यापार में अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय तनाव के चलते निकट भविष्य में बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। इसके बावजूद, भारतीय बाजार की मजबूती और लचीलापन विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं।

12 जून को बाजार में आई गिरावट

हालांकि, 12 जून 2025 को बाजार में तेज गिरावट देखी गई। सेंसेक्स 823 अंकों की गिरावट के साथ 81,691.98 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 ने 253 अंक टूटकर 24,888.20 पर कारोबार समाप्त किया। मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांकों में क्रमश: 1.52% और 1.38% की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट वैश्विक आर्थिक चिंताओं और अंतरराष्ट्रीय तनाव के प्रभाव के रूप में सामने आई।

भारत की आर्थिक मजबूती का संकेत

भारतीय शेयर बाजार की यह प्रगति न केवल निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है, बल्कि यह देश की आर्थिक स्थिरता और संभावनाओं को भी उजागर करती है। स्मॉल-कैप शेयरों की मजबूत अगुवाई में भारतीय बाजार ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और अधिक मजबूत किया है।